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अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया

अनंत अक्षय तृतीया आखातीज फल दायक है।
जो कभी क्षय नहीं होती सहायक रघुनायक है।

परिणय संस्कार सुविधा सौभाग्य अखंड पाता है।
महालक्ष्मी पूजा होती सुख वैभव यश आता है।

शुभ कार्य संपन्न दिवस अक्षय भंडार भरा रहता।
गृह प्रवेश भू पूजा व्यापार अगणित वृद्धि करता।

भगवान परशुराम धरा अक्षय तृतीय तिथि आए।
जटा लपेटे शिवशंकर पावन गंगा धरती पे लाए।


तीर्थ स्थल बद्रीनारायण बांके बिहारी पट खुलते।
श्रद्धा भक्ति भाव आस्था स्वर्णिम खजाने मिलते।

अक्षय कलश पान सुपारी नारियल घट वंदन हो।
गणपति का ध्यान धर मंगल कार्य अभिनंदन हो।


अक्षय तृतीया मुहूर्त शुभ विवाह सौभाग्यशाली।
शिक्षा व्यापार नव गृह मंगलमय हो वैभवशाली।

नव विचार नई उमंगे नवाचार घट घट उपजे।
नई बहारें नई रोशनी नई फसलें धरा निपजे।


रमाकांत सोनी सुदर्शन


नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

रचना स्वरचित व मौलिक है


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