सशस्त्र जांबाज सिपाही
सिंहासन हुंकार भर रहा चले सिपाही बॉर्डर पर।ऑपरेशन सिंदूर चला एक दिल्ली के आर्डर पर।
सशस्त्र जांबाज सिपाही हाथों में लिए हथियार।
तीनों सेनाएं सजग है शत्रु पर करने तीखा वार।
शौर्य पराक्रम दिखलाएंगे सरहद के रखवाले वीर।
आंख दिखाएं जो हमको बैरी का देंगे सीना चीर।
अदम्य साहस से टकराते हौसलों की भर उड़ान।
बेरी थर थर थर्राते रण में चले वीर योद्धा जवान।
जो बारूद में खेल खेलते शोलों से भीड़ जाते हैं।
तूफानों से टक्कर लेते सीमा पर शीश चढ़ाते हैं।
गर्व हमें जांबाजों पर सर्वस्व समर्पण करते वीर।
भारत मां के लाडले वीर साहसी शूरमां रणधीर।
जिनकी जुबां पे जयहिंद घट राष्ट्रप्रेम की धारा है।
देश के सच्चे रक्षक वीरों का वंदे मातरम् नारा है।
जल थल वायु सेना में सिपाही सौगंध खाता है।
राष्ट्र हित सर्वोपरि मुझको मां मेरी भारतमाता है।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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