तू कौन है
स्वयं को पहचान तू कौन है ,वाकई तू पौन है या डाॅन है ।
बोलता नहीं क्यों तू मौन है ,
या इनमें से कोई भी नान है ।।
तू न्यायी है या तू अन्यायी है ,
या आतंकी का अनुयायी है ।
है अभी वक्त तू सोच जरा ,
क्या अकल ठिकाने आई है ?
कर ले फैसला ये स्वयं तू ही ,
तू स्वयं पाक है या नापाक है ।
आज नहीं तू सीधा खड़ा है ,
क्यूॅं बना मुलायम तू शाक है ।।
तू तो सदा भारत का निंदक ,
आज क्यूॅं बने विश्व का निंदा ।
नहीं तेरे पास कोई शर्मिंदगी ,
कैसे आज तुम बने हो जिंदा ।।
तू इंसान बना या नादान बना ,
भगवान बना बना हैवान बना ।
बनकर न्यायी फैसला कर ले ,
कैसा तेरा अब पहचान बना ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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