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गोरे गोरे पोता

गोरे गोरे पोता

गोरे गोरे पोता काले काले बाल ,
मार किलकारी करे खुशहाल ।
छोटी छोटी बईयाॅं ,
छोटे छोटे पईयाॅं ।
बाजे पाजेब जब ,
चले घुटकईयाॅं ।।
तू ही मेरे लल्ला तू ही मेरे लाल ।
मार किलकारी करे खुशहाल ।।
तेरो शरारत मन को रिझावे ।
मोहनी सूरतिया सबको लुभावे ।।
गोद गोद दौड़े हर कोई निहाल ।
मार किलकारी करे खुशहाल ।।
पोता मेरा जिगर का टुकड़ा ।
दिन-रात देखूॅं पोता का मुखड़ा ।।
आजीवन चमके पोते का भाल ।
मार किलकारी करे खुशहाल ।।
एक मेरे नाती दो मेरे पोता ।
एक को मनाता दूजा रोता ।।
नाती पोता देख हुए निहाल ।
मार किलकारी करे खुशहाल ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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