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संवाद और विकास का आईना है सांस्कृतिक विविधता दिवस

संवाद और विकास का आईना है सांस्कृतिक विविधता दिवस

सत्येन्द्र कुमार पाठक

जहानाबाद । विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस' के अवसर पर जहानाबाद में 'निर्माण भारती' के प्रबंध संपादक, साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने जन संवाद और विकास के लिए सांस्कृतिक विविधता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष 21 मई को विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस विविधता और अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृत एक महत्वपूर्ण अवसर है।2002 में शुरू हुआ यह दिवस, दरअसल यूनेस्को की सांस्कृतिक विविधता पर सार्वभौमिक घोषणा का परिणाम था, जिसने दुनिया की सांस्कृतिक विविधता को वैश्वीकरण के जोखिम से बचाने का आह्वान किया था। इस घोषणापत्र में संस्कृति को "मानवता की साझी विरासत" के रूप में वर्णित किया गया और सदस्य राज्यों से इसे बढ़ावा देने के लिए उपाय करने का आग्रह किया गया। 20 दिसंबर 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित संकल्प के ए/आर ई एस /57/249 के तहत 21 मई को 'संवाद और विकास के लिए सांस्कृतिक विविधता का विश्व दिवस' नामित किया गया। श्री पाठक ने बताया कि यूनेस्को ने संस्कृति की एक नई व्याख्या को बढ़ावा दिया है, जिसमें सांस्कृतिक विविधता को केवल स्थापित सांस्कृतिक सामग्री के संरक्षण के बजाय बातचीत और संवाद की एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। 2009 में, यूनेस्को के महानिदेशक कोइचिरो मत्सुरा ने इस बात पर जोर दिया कि "संस्कृतियाँ एकरूप नहीं हैं, बल्कि परस्पर निर्भर हैं, जो पारस्परिक आदान-प्रदान और उधार के परिणामस्वरूप होती हैं"। यह दिवस संस्कृति के कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों और सरकारी व गैर-सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाने वाले कार्यक्रमों द्वारा मनाया जाता है। 2011 से, संयुक्त राष्ट्र सभ्यताओं का गठबंधन (यूएनएओसी) यूनेस्को और अन्य संगठनों के साथ मिलकर "विविधता और समावेश के लिए एक काम करो" अभियान चला रहा है, जो लोगों को विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानने या अपनी संस्कृति को दूसरों के साथ साझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। विश्व भर में इस दिवस को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। जर्मनी में सांस्कृतिक संस्थानों से अप्रवासी कलाकारों का समर्थन करने की सिफारिशें की गईं, बोत्सवाना में जनजातीय समारोह और कलात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, और आर्मेनिया में जातीय अल्पसंख्यकों को प्रदर्शित करने वाली विविधता परेड आयोजित की जाती है। 2023 में, ग्लासगो, स्कॉटलैंड में प्रवासियों की विविधता का जश्न मनाने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जबकि ब्रिटिश हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने भारतीय भाषाओं का जश्न मनाया। जिम्बाब्वे में, इस दिवस के उत्सव को 'संस्कृति सप्ताह' और फिर 'संस्कृति माह' तक बढ़ाया गया है। यूनेस्को स्वयं भी लोक कला पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की विविधता के संरक्षण पर कार्यक्रमों की मेजबानी करता रहा है, जिसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों और यूनेस्को सद्भावना राजदूतों की भागीदारी होती है। इन वैश्विक प्रयासों के माध्यम से, 'विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस' हमें यह याद दिलाता है कि हमारी विविध संस्कृतियाँ ही हमारी साझा विरासत हैं और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व तथा सतत विकास के लिए अंतर-सांस्कृतिक संवाद अत्यंत आवश्यक है।
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