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पेट

पेट

जय प्रकाश कुंवर
सब रोगों का कारण पेट।
सब पापों का कारण पेट।।
ईश्वर ने जब यह शरीर बनाया।
इसमें अजीब यह यंत्र लगाया।।
जीव इसके लिए क्या नहीं करता।
फिर भी पेट कभी नहीं भरता।।
सुबह भरे दोपहर की चिंता।
दोपहर भरे फिर शाम की चिंता।।
यह क्रम यों ही चलते जाता है।
पापी पेट कभी नहीं भर पाता है।।
कमाते कमाते थक जाओगे।
इस गढ्ढे को कभी नहीं भर पाओगे।।
जीवन भर की पूरी कमाई।
सबकी इस गढ्ढे में समाई।।
रहा न कुछ तब पाप करायेगा।
सारे गंदे रास्ते पर पेट चलायेगा।।
जिसका पेट खुब भरा है।
तरह तरह का रोग उसे धरा है।।
अब मिहनत करके जो भी कमाओ।
पूरी कमाई डाक्टर को दे आओ।।
यह पेट न तो सुख से जीने देगा।
और न यह सुख से मरने देगा।।
पापी पेट की है अजब कहानी।
ना समझा सो मुरख, समझा सो ज्ञानी।। 
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