विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस: सत्य और आज़ादी की आवाज़
सत्येन्द्र कुमार पाठकजहानाबाद । विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, जहानाबाद में निर्माण भारती (हिंदी पाक्षिक) के प्रबंध संपादक, जाने-माने साहित्यकार और इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने प्रेस की अपरिहार्य भूमिका पर व्यापक रूप से अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रेस किसी भी समाज के लिए एक ऐसी सशक्त आवाज़ है जो न केवल सत्ता के गलियारों में सवाल उठाने का साहस रखती है, बल्कि समाज के समक्ष निडरता से सच्चाई को प्रस्तुत करती है और आम जनता की भावनाओं को सार्थक शब्द प्रदान करती है। श्री पाठक ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि जब ऐसी महत्वपूर्ण आवाज़, जिसे हम मीडिया या समाचार माध्यम के रूप में जानते हैं, को किसी भी प्रकार से चुप कराने, दबाने या डराने का प्रयास किया जाता है, तो उस समाज की आत्मा भी कहीं न कहीं घुटने लगती है। इसी महत्वपूर्ण भावना को सदैव जीवंत बनाए रखने और वैश्विक स्तर पर मीडिया के अमूल्य महत्व से सभी को अवगत कराने के पुनीत उद्देश्य से प्रतिवर्ष 3 मई को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विशेष दिन केवल पत्रकारों या मीडिया संस्थानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जो सत्य को जानने के नैसर्गिक अधिकार का अधिकारी है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की आधारशिला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा वर्ष 1991 में रखी गई थी। इसके पश्चात, वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 3 मई को इस महत्वपूर्ण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। पहली बार विश्व स्तर पर यह दिवस वर्ष 1994 में मनाया गया था, और तब से लेकर आज तक इसका महत्व लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यह दिन हमें यह महत्वपूर्ण स्मरण कराता है कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस ही किसी भी स्वतंत्र और प्रगतिशील समाज की मजबूत नींव होती है।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को और विश्व भर के अन्य प्रतिष्ठित संगठन विभिन्न प्रकार के विशेष आयोजन, विचारोत्तेजक सेमिनार और ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य मीडिया की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करना, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और समग्र रूप से मीडिया के महत्वपूर्ण योगदान को बढ़ावा देना है। प्रेस स्वतंत्रता का सार यह है कि किसी भी समाचार संस्था, पत्रकार या मीडिया माध्यम को बिना किसी बाहरी दबाव, सरकारी सेंसरशिप या किसी भी प्रकार के भय के स्वतंत्र रूप से सत्य और तथ्यात्मक जानकारी को निर्भीकता से प्रकाशित करने, प्रसारित करने और व्यापक रूप से साझा करने का अटूट अधिकार प्राप्त हो। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर, प्रेस की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण उपायों पर भी प्रकाश डाला गया है। इनमें प्रमुख हैं: मज़बूत कानूनी ढाँचा: प्रेस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे प्रभावी कानूनों का निर्माण और कार्यान्वयन आवश्यक है जो मीडिया को बिना किसी भय के अपना कर्तव्य निभाने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करें।दोषियों को सज़ा: सरकार और अन्य संबंधित संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकारों पर किसी भी प्रकार का हमला करने या उन्हें धमकाने वाले व्यक्तियों को कानून के तहत कठोरतम सज़ा मिले। संपादकीय स्वतंत्रता: मीडिया पर किसी भी प्रकार के सरकारी या राजनीतिक हस्तक्षेप और दबाव से बचने के लिए संपादकीय स्वतंत्रता का अक्षुण्ण रहना अत्यंत आवश्यक है। नागरिक जागरूकता: आम नागरिकों को प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका और स्वतंत्रता के गहरे महत्व के बारे में शिक्षित और जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि वे आसानी से सही और झूठी खबरों के बीच स्पष्ट अंतर कर सकें।
पत्रकार सहायता संगठन: पत्रकारों के लिए ऐसे मजबूत और प्रभावी संगठनों का निर्माण किया जाना चाहिए जो उन्हें कानूनी सहायता, सामाजिक सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी आवश्यक सहायता प्रदान कर सकें।
निष्पक्ष न्यायपालिका: जब कभी भी प्रेस की स्वतंत्रता पर कोई भी अनुचित हमला होता है, तो न्यायपालिका को त्वरित और निष्पक्ष निर्णय देना सुनिश्चित करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन: भारत जैसे एक जीवंत लोकतंत्र को यूनेस्को की प्रेस स्वतंत्रता रिपोर्ट और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अक्षरशः पालन करना चाहिए।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025 की महत्वपूर्ण विषयवस्तु – “ए प्रेस फॉर द प्लैनेट” है, जो जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की चिंताजनक हानि और बढ़ते प्रदूषण सहित वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों को संबोधित करने में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष रूप से केंद्रित है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर, विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा व्यापक स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए प्रभावशाली नारे और विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में पत्रकारों और विभिन्न मीडिया संस्थानों के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और उन्हें प्रेस स्वतंत्रता के मूलभूत महत्व के बारे में गहराई से अवगत कराया जाता है। दुनिया भर में इस विशेष दिन पर विशेष रूप से तैयार की गई महत्वपूर्ण खबरें, विचारोत्तेजक लेख और सूचनात्मक ब्लॉग पोस्ट व्यापक रूप से साझा किए जाते हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता और मीडिया की पूर्ण आज़ादी के लिए अपना अटूट समर्थन व्यक्त करना होता है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का प्राथमिक और सर्वोपरि उद्देश्य आम लोगों को मीडिया से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में गहराई से जागरूक करना है। यह महत्वपूर्ण दिन हमें यह महत्वपूर्ण याद दिलाता है कि मीडिया की स्वतंत्रता किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र का एक अपरिहार्य स्तंभ है, जो लोगों के मौलिक अधिकारों और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रभावी ढंग से उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस दिन यह भी महत्वपूर्ण रूप से याद दिलाया जाता है कि पत्रकारों के साथ सभी के द्वारा अत्यंत सावधानी और सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए। जब मीडिया अपनी स्वतंत्रता के आधार पर निर्भीकता से कार्य करती है, तो आम लोगों को सही तथ्यों और महत्वपूर्ण जानकारियों को सही परिप्रेक्ष्य में समझने में अमूल्य मदद मिलती है। निष्कर्षतः, विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है जो मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा के अटूट महत्व को समझने और इस बारे में व्यापक जागरूकता फैलाने के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ है बिना किसी भी सरकारी या राजनीतिक दबाव के पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से सूचना और समाचारों को प्रस्तुत करने की अटूट क्षमता। भारत के संविधान में नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है, और आज के डिजिटल युग में डिजिटल मीडिया और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी सूचना के महत्वपूर्ण और शक्तिशाली स्रोत के रूप में उभरे हैं, जिन्हें प्रेस स्वतंत्रता के व्यापक दायरे में ही देखा जाता है। अंततः, प्रेस स्वतंत्रता से समाज में पारदर्शिता की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगता है और सभी नागरिकों को समय पर सही और सटीक जानकारी प्राप्त होती है।
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