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शरद के दिन शरद की रातें सुहानी हैं।

शरद के दिन शरद की रातें सुहानी हैं।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
शरद के दिन शरद की रातें सुहानी हैं।
मन की किताब खोलिए बातें पुरानी हैं।।
प्रेम ,श्रद्धा , और मर्यादा जहाँ तक हो।
बाँटिए कुछ क्लेश - सुख जो भी जुवानी हैं।।
पथिक को पथ में मिले यदि प्रेरणा का बल।
और उत्साहित चले ज्यों ‌नव कहानी हैं।।
लोग तो शव - दाह -गृह उत्सव मनाते हैं।
डोमराज महान के चट पर रवानी है।।
कफन वालों, काठ वालों,की कमाई है।
शव क्रिया के लोग के हाथों खुवानी है।।
लोक- चिंतन और दर्शन गजब है लेकिन।
जो गये उसके लिए दुनिया विरानी है।।
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रामकृष्ण
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