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मजदूर शब्द सामान्य नहीं ,

मजदूर शब्द सामान्य नहीं ,

मजदूर शब्द बहुत महान ।
मजदूर में ही वास हैं करते ,
सारे देव देवी औ भगवान ।।
म से ब्रह्मा विष्णु शिव चंद्र ,
यम समय जल व सौभाग्य ।
मजदूर को जो बहुत सताता ,
उनका हो जाता है दुर्भाग्य ।।
ज से मृत्युंजय पिता विष वेग ,
सदा ही है जीत उत्पन्न धारी ।
मजदूर होता वरदान प्राप्त है ,
दू का अर्थ होता रोग बीमारी ।।
र से अग्नि ऑंच व झुलसना ,
चाहे जितना बड़ा तीखा ताप ।
ऐसे मजदूरों को जो है सताए ,
उसे चढ़ता बहुत गहरा पाप ।।
देवों सा जो विनम्र ही है होता ,
समय से सबको आता काम ।
पिशाच की तरह काम करता ,
होते शाम विषपान परिणाम ।।
सूर्य रूपी आग के तीखे ताप ,
झुलसता हुआ करता है काम ।
जिसमें देवों का होता है वास ,
श्रम ही होता जिनका है धाम ।।
गणपति की हुई कृपा ही नहीं ,
कहाॅं से पावे बेचारा यह ज्ञान ।
सरस्वती से हुए कृपा विहीन ,
विद्या कौन भला कर दे प्रदान ।।
जिस देश होते मजदूर नहीं हैं ,
उस देश का होता है दुर्भाग्य ।
जिस देश मजदूर जन्म लेते ,
सम्मान देना भी होता सौभाग्य ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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