चलो मजदूर दिवस मनाऍं
महान मजदूर दिवस महान ,हम मजदूर दिवस अपनाऍं ।
मजदूर दूसरे हेतु जो जीता ,
चलो मजदूर दिवस मनाऍं ।।
अपने हेतु है जिया नहीं जो ,
दूसरों हेतु है जीवन बिताया ।
थोड़ी सी ही मजदूरी पाकर ,
प्यार से बहुत वह इठलाया ।।
वह मजदूर तो धन्य बहुत है ,
आओ उसे हम गले लगाऍं ।
हम भी श्रमिक तू भी श्रमिक ,
दोनों श्रमिक गले मिल जाऍं ।।
श्रमिक तो दुनिया के हैं सारे ,
बस उनके नाम ही अलग हैं ।
करते परिश्रम तुम भी कहीं पे ,
हर श्रमिकों के काम अलग हैं ।।
कोई कहलाता श्रमिक मजदूर ,
कोई कहलाता कहीं किरानी ।
कोई है अधिकारी अभियंता ,
कोई नेता अभिनेता व सेनानी ।।
मालिक कोई न होता जग में ,
यह तो होता विश्वास है अंध ।
भक्त भगवान हैं दोनों अधूरे ,
दोनों में अन्योन्याश्रय संबंध ।।
सभी होते एक दूजे के सेवक ,
सभी होते हैं दूजे के भगवान ।
एक दूजे बिन सभी हैं अधूरे ,
करके देख लो अंतर्मन ज्ञान ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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