पर्यावरण, जल जीवन पर गहराता संकट चिंता का विषय------- शालिनी भदानी

पर्यावरण, जल जीवन पर गहराता संकट चिंता का विषय------- शालिनी भदानी 

 हम सभी पर्यावरण जल और जीवन पर निरंतर मंडराते खतरे से परिचित है, फिर भी समाज के तमाम जागरुक व्यक्ति एवं खासकर बुद्धिजीवियों के लिए गंभीर चिंता और चुनौती का विषय नहीं बन पाना आश्चर्यजनक है। यह कथन है गया महानगर नगर कौटिल्य मंच के सचिव समाजसेवी कुमारी आयुषी एवं शालिनी भदानी का उन्होंने एक संयुक्त बयान जारी कर पर्यावरण संतुलन जल का बेलगाम दोहन के कारण अभी गर्मी की शुरुआत भी नहीं हुई है और गया महानगर सहित मगध प्रमंडल के तमाम प्रखंडों जिलों में 10-15 फीट तक जलस्तर नीचे गिरना पेयजल के लिए भी संकट खड़ा करने वाली है। लोग परेशान हो रहे हैं सिंचाई के लिए नल भी नाकाम होने लगे हैं। कारण प्रकृति जल स्रोतों का जीवंत नहीं किया गया संरक्षित नहीं किया गया। भूमिगत जल दोहन पर नियंत्रण नहीं है इसके लिए लोगों को आगे आना चाहिए कड़ाई से पालन कराने की जरूरत है। केवल सरकार या भगवान के भरोसे बढ़ते प्रदूषण के साथ पेयजल का कारोबार भी तेजी से फैल रहा है। इसकी प्रक्रिया भी ऐसी है कि जल की काफी बर्बादी होती है। इन पर नियंत्रण न पाया गया और हर कार्य के लिए सरकार को दोष देकर हर व्यक्ति अपने दायित्व से मुक्ति पा लेंगे तो आने वाली पीढियां के लिए अपने बाल- बच्चों के लिए जीवन को खतरा में डाल कर क्या पाना चाह रहे हैं। बुद्धिजीवियों जागरूक व्यक्तियों को व्याप्त समस्याओं के लिए आगे आना पड़ेगा।इस बयान की जिन प्रमुख व्यक्तियों ने सराहना की है उनमें मुख्य रूप से प्रोफेसर रीना सिंह नीलम पासवान मृदुला मिश्रा रंजीत पाठक राजीव नयन पांडे पवन कुमार मिश्रा अंबिका कुमारी अपर्णा कुमारी कविता राऊत पियूषा गुप्ता दीपक पाठक मुन्नी देवी विश्वजीत चक्रवर्ती सुमो तारा चक्रवर्ती तरन्नुम तारा सुवी डॉक्टर काशिफ साहब गुड्डू बाबू मोहम्मद तारिक विभा शर्मा पूजा कुमारी फूल कुमार यादव बंदना दास संगीता कुमारी शीला त्रिपाठी आदि थे।
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