राम लला आ गये

राम लला आ गये
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राम लला आ गये । खुशी में घर- घर पूजा पाठ मंत्रोच्चार हो रहा है। खुशी में घी का दीपक जला रहे हैं। लोग बाग प्रभात फेरी और संध्या फेरी निकाल रहे हैं।लोग सपरिवार घर के निकट मन्दिरों में पूजा की थाली लेकर जा रहे हैं। समुचा अयोध्या सजी हुई है। रामलला आज पांच सौ वर्ष बाद टाट से निकल ठाठ से अपने नवनिर्मित गर्भ गृह में प्रवेश कर गये हैं।
सभी विशिष्ट महानुभावों को इस विशेष अवसर पर दर्शन के लिए निमंत्रण पत्र भी भेजा गया था। पर राम द्रोही ने निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। और उसने एक समूह भी बना राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया ‌। राम द्रोही ने कहा श्री राम सेतु कल्पना है। जबकि नासा ने (विज्ञान)भी माना कि श्रीराम सेतु मानव निर्मित है।
राम द्रोही ने अपने ही पार्टी के अधिवक्ता सांसद को सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि के विरुद्ध मुकदमा लड़ने भी भेजा।पर राम लला पांच सौ वर्ष के बाद अपने घर में आ गये।
इसके पहले राम लला द्रोही राम लला के ईष्ट भगवान शिव का सोमनाथ मंदिर का जिर्णोद्धार जब तत्कालीन गृहमंत्री द्वारा किया जा रहा था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेन्द्र प्रसाद को जाने से मना भी किया था।
राम द्रोही को कम से कम पड़ोसी मुल्क श्री लंका से सीख लेनी चाहिए जो अशोक वाटिका, लंकेश का हवाईअड्डा , सहित अनेकों स्थान को धरोहर के रुप में आज भी सुरक्षित रखा है। जबकि वह मुल्क बौद्ध धर्म को मानने वाला है।
जो अपनी सांस्कृतिक विरासत को कबूल करने को तैयार नहीं है वो केवल राम द्रोही ही नहीं देश द्रोही भी है।
बहुत जल्द उनके घर से पुनः एक बार विभिषण निकलेगा और उनकी पोल खोलेगा। उसी विभिषण की सहमति से लोकसभा चुनाव में उनकी लंका में आग लगेगी। और वह आग जय श्री राम बोलते हुए विभिषण ही लगाने वाला है। इसका गवाह आप सब मतदाता बनेंगे। और वह दिन होगा चार जून जिस दिन लंका जलेगी
जितेन्द्र नाथ मिश्र । कदम कुआं, पटना
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