बहुत देर से समझ में आया, कैसी है यह समझ तुम्हारी,

बहुत देर से समझ में आया, कैसी है यह समझ तुम्हारी,

न्यायालय पर प्रश्न उठाते, कैसी है यह समझ तुम्हारी?
समझ रहे सत्ता को दासी, करते रहते सदा मनमानी,
समझ सके न जनता का मन, कैसी है यह समझ तुम्हारी?


जीजा के काले धंधों पर, क्यों ख़ामोश रहा करते,
टू जी थ्री जी कोल घोटाले, क्यों मौन रहा करते?
राजीव की हत्या का सच, क्यों आरोपी माफ़ किये,
सिक्खों के हत्यारों को तुम, क्यों गौण किया करते?


वक़्फ़ बोर्ड का गठन किया, हिन्दू हित की बलि चढ़ा,
मुस्लिम तुष्टिकरण में आगे, हिन्दू हित की बलि चढ़ा।
संविधान में संशोधन कर, धर्मनिरपेक्षता खेला खेल,
अल्पसंख्यकों का पहला हक, हिन्दू हित की बलि चढ़ा।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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