होली

होली 

खेलने होली चले ससुराल में,
साथ में बीवी ठुमकती चाल में।

चाहतें मन में हजारों हैं भरीं,
रँग मलेंगे सालियों के गाल में।

सलहजों के संग झूमेंगे बहुत,
खूब लूटेंगे मजा इस साल में।

सोचती बीवी मिलेगा यार वो,
चाहता है जो मुझे हर हाल में।

मिट गईं सारी हसरतें देखकर,
मस्त थे सब आप ही जंजाल में।

ना मिली साली न सलहज पूछती,
यार भी गायब रहा चौपाल में।

बाल उजले,स्याह दिल बोझिल शमां,
चल अवध अपनी कुटी पंडाल में।

डॉ अवधेश कुमार अवध
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ