एक तरफ बुधुआ का बेटा खाने को मोहताज

एक तरफ बुधुआ का बेटा खाने को मोहताज

एक तरफ बुधुआ का बेटा खाने को मोहताज
है देखो तरस रहा |
और इधर छल छद्म कपट से भोग रहा सब राज
रुपइया बरष रहा ||
लूट सको तो लूट लो भइया ! जिसे अकल है आज
रुपइया बरष रहा |
कौन कमाये कितनी दौलत न कोई अंदाज
रुपइया बरष रहा ||
चाँपे पेट इधर न मुख से निकल रही आवाज है देखो तरस रहा |
और उधर उसकी करनी को देख लजाये लाज
रुपइया बरष रहा ||
लूट सको तो लूट लो भइया ! जिसे अकल है आज
रुपइया बरष रहा |
कौन कमाये कितनी दौलत न कोई अंदाज
रुपइया बरष रहा ||
इधर न तन पर वस्त्र है साबुत देखे सकल समाज है देखो तरस रहा |
उधर सजाये साज करे चितचैन धरे सिर ताज
रुपइया बरष रहा ||
लूट सको तो लूट लो भइया ! जिसे अकल है आज
रुपइया बरष रहा |
कौन कमाये कितनी दौलत न कोई अंदाज
रुपइया बरष रहा ||
सिकुड़ा सिमटा दुर्लभ दाना-पानी और अनाज है देखो तरस रहा |
हठ्ठा-कठ्ठा झपट झपट्टा मार रहा है बाज
रुपइया बरष रहा ||
लूट सको तो लूट लो भइया ! जिसे अकल है आज
रुपइया बरष रहा |
कौन कमाये कितनी दौलत न कोई अंदाज
रुपइया बरष रहा ||
एक तरफ बेदर्द गरीबी बनी कोढ़ में खाज है देखो तरस रहा |
और उधर ऐश्वर्य प्रदर्शन नित्य नया आगाज
रुपइया बरष रहा ||
लूट सको तो लूट लो भइया ! जिसे अकल है आज
रुपइया बरष रहा |
कौन कमाये कितनी दौलत न कोई अंदाज
रुपइया बरष रहा ||
चितरंजन 'चैनपुरा'
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