कुर्सी-स्तुति

कुर्सी-स्तुति

मार्कण्डेय शारदेय
आराधना सविनय समर्पित
मातृके कुर्सी ! तुझे ।
पुनः ले निज गोद में
हे पालिनी ! भयहरिणी !!
तेरे सिवा मैं भटकता –फिरता रहूँ
आखिर कहाँ ?
तुझमें सकल ऐश्वर्य का आधान है ,
हम मानते ।
मंत्रद्रष्टा ऋषि-महामुनि
बीज –तत्त्व निहारते ।
इस चुनावी तपश्चर्या का
परम आधार है
कामधेनो ! अनघ-रूपे!
कमाना-अवतार है ।
‘’नमो देव्यै महादेव्यै ‘’
कह सदा प्रणमन करूँ ।
तेरी शरण में जो गया
सौभाग्य उसका बन गया
सात पीढ़ी पूर्व की औ’ सात पीढ़ी बाद की
स्वर्ग एवं मोक्ष को भी हीन आँखों देखती ।
दयामूर्ते ! दया की ही
भीख तुझसे मांगता
दया कर कुछ ,दया कर माँ !
त्राहि मां शरणागतम् ।
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