"जीवन भ्रम तो मृत्यु मोक्ष है"

"जीवन भ्रम तो मृत्यु मोक्ष है"
और
"जीवन संघर्ष तो मृत्यु उत्सव है"

जीवन एक भ्रम है, यह एक सत्य है जिसे हर कोई जानता है। जीवन की शुरुआत होती है और अंत भी होता है। इस बीच हम जो कुछ भी करते हैं, वह सब कुछ एक भ्रम है। यह भ्रम हमें दुख, सुख, खुशी, गम, प्रेम, घृणा आदि जैसी भावनाओं से भर देता है। हम इन भावनाओं में फंस जाते हैं और उन्हें वास्तविक मान लेते हैं।

जब हम मृत्यु को प्राप्त करते हैं, तो हम इस भ्रम से मुक्त हो जाते हैं। मृत्यु के बाद, हम केवल एक हैं, केवल शून्य। यह शून्य ही असली है, यह ही मोक्ष है।

जीवन एक संघर्ष है, यह भी एक सत्य है। हम जन्म से लेकर मृत्यु तक संघर्ष करते रहते हैं। हम दूसरों से संघर्ष करते हैं, खुद से संघर्ष करते हैं, और प्रकृति से संघर्ष करते हैं। यह संघर्ष हमें थका देता है, हमें पीड़ा देता है, और हमें दुखी बना देता है।

जब हम मृत्यु को प्राप्त करते हैं, तो हम इस संघर्ष से मुक्त हो जाते हैं। मृत्यु के बाद, हम शांति में होते हैं। यह शांति ही उत्सव है।

इसलिए, कहा जा सकता है कि जीवन भ्रम तो मृत्यु मोक्ष है और जीवन संघर्ष तो मृत्यु उत्सव है।

यह एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण से, जीवन केवल एक भ्रम है, एक संघर्ष है। मृत्यु ही असली है, मृत्यु ही मोक्ष है, मृत्यु ही उत्सव है।

यह दृष्टिकोण सभी के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकता है। जो लोग भौतिकवादी दृष्टिकोण रखते हैं, वे इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं हो सकते हैं। वे मानते हैं कि जीवन ही वास्तविक है, और मृत्यु केवल एक अंत है।

लेकिन, जो लोग आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखते हैं, वे इस दृष्टिकोण से सहमत हो सकते हैं। वे मानते हैं कि जीवन केवल एक यात्रा है, और मृत्यु ही गंतव्य है। मृत्यु के बाद, हम अपने वास्तविक स्वभाव को प्राप्त करते हैं।

अंततः, यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह इस दृष्टिकोण से सहमत है या नहीं।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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