हे मनमोहन
प्रख्यात अर्थशास्त्रीमौन पी एम
देर से ही सही
आप मुँह खोलने तो लगे
विपक्ष की भूमिका में
बोलने तो लगे
काश! पहले भी बोले होते
दस सालों तक जुड़े हाथों को
उस वक्त भी
लहराकर खोले होते
कुर्सी की गरिमा को
शास्त्री नरसिम्हाराव अटल से
तौले होते
मनबढ़ बच्चों के गालों पर
चपत जमाकर
चीनियों को आँखें दिखाकर
पाक को घुड़की लगाकर
नेपाल से माओवाद मिटाकर
कश्मीर से तीन सौ सत्तर हटाकर
छीन लिए होते
पीओके और सियाचिन
तो धुल गई होती कायरता
आपके पी एम पूर्वजों की
और आन बान शान
कायम हो जाती आपकी।
खैर देर से ही सही
बोल तो फूटा
स्वागत है
और सुझाव भी है आपको
कि अपने विशाल ज्ञान
और ज्ञेय- अज्ञेय अनुभव का
सही दिशा में उपयोग करें
छोड़ दीजिए मोह
निकाल दीजिए गले का पट्टा
झपट लीजिए यान्त्रिक चाबी
कर दीजिए विद्रोह
बन जाइए प्रणब
और तैयार हो जाइए
सच्चे सरदार बनकर
शहीदे आजम की तरह तनकर
मानसरोवर तीर्थाटन हेतु
मोक्ष के लिए
चौथेपन में......।
डॉ अवधेश कुमार अवध
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