अक्टूबर 2023 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार

अक्टूबर 2023 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार

हर हर महादेव!!
लेखक: रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन,ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।

मैं आप सबको और आप सबके हृदय में विराजमान ईश्वर को प्रणाम करता हूं और धन्यवाद करता हूं। इस वर्ष 2023 ईस्वी में पूरे अक्टूबर माह में हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन का महीना होगा। आश्विन का महीना मां जगदंबा, मां भगवती, मां दुर्गा को समर्पित है। इस महीने में मां जगदंबा के साथ-साथ नवरात्रि से पूर्व 15 दिनों का श्राद्ध पक्ष होता है। जिनमें पितरों की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। उनका आशीर्वाद लिया जाता है। इसी महीने में वर्ष का महत्वपूर्ण पुर्णिमा शरद पूर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता है। अश्विन माह और आश्विन माह के अधिपति देवी देवताओं को और सभी पितृ देवताओं को नमन कर, प्रणाम कर आईए आरंभ करते हैं अक्टूबर 2023 के महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों की चर्चा।

2 अक्टूबर सोमवार को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा। महाराष्ट्र प्रांत में इसे साखर चतुर्थी के राजा के रूप में विशेष पूजा अर्चना करके मनाया जाता है। आज के दिन भारतीय स्वतंत्रता के महान सेनानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस और भारत के श्रेष्ठ प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन भी पूरे देश में मनाया जाता है।

6 अक्टूबर शुक्रवार को महालक्ष्मी व्रत का समापन होगा। आज के दिन माताएं एवं बहनें अपनी संतान की मंगल कामना करते हुए, संतान के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु की प्रार्थना करते हुए जीवित्पुत्रिका का विशेष व्रत निर्जला रहकर करती हैं। मां जगदंबा की पूजा के साथ-साथ राजा जीमूतवाहन की विशेष पूजा की जाती है।

7 अक्टूबर शनिवार की सुबह 10:21 के बाद जीवित्पुत्रिका का पारन किया जाएगा।

8 अक्टूबर रविवार को रवि पुष्य योग होगा। इस योग में विशेष पूजा पाठ और तांत्रिक साधनाएं की जाती हैं।

10 अक्टूबर मंगलवार को इंदिरा एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा।

14 अक्टूबर शनिवार को सर्व पितृ अमावस्या होगा। इस दिन पितृ विसर्जन किया जाता है और इसके साथ ही 15 दिनों से चला आ रहा पितृपक्ष, श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएगा।

15 अक्टूबर रविवार को शारदीय नवरात्र का प्रथम दिवस की पूजा अर्चना की जाएगी। आज सभी सनातनी के घरों में घट स्थापना करके मां जगदंबा का आवाहन किया जाएगा और आज से 9 दिनों तक नवरात्र का विशेष अनुष्ठान एवं पूजन किया जाएगा। बहुत से घरों में इन नौ दिनों में श्री रामचरितमानस का परायण भी किया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस पूरे दिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग मिलने के कारण घट स्थापना का कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में देवी भागवत के अनुसार अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 11:36 से 12:24 के बीच घट स्थापना किया जाएगा। इस एक मुहूर्त के अलावा इस दिन घट स्थापना का कोई दूसरा मुहूर्त नहीं मिल रहा है। इस नवरात्रि में मां जगदंबा का आगमन हाथी पर हो रहा है। जो शुभ फलदायक है। उनका प्रस्थान महिष अर्थात भैंस पर हो रहा।है जो कष्ट और पीड़ा दायक होगा। रोग कारक, अशुभ फलदायक होगा। अतः मां जगदंबा से विशेष प्रार्थना करनी चाहिए कि मां जगदंबा सबका कल्याण करें।
आज महाराजा अग्रसेन जी का जन्म उत्सव भी मनाया जाएगा।
16 अक्टूबर सोमवार को चंद्र दर्शन होगा।

18 अक्टूबर बुधवार को तुला संक्रांति है। अर्थात् भगवान सूर्य अपनी वर्तमान कन्या राशि को छोड़कर तुला राशि में प्रवेश कर जाएंगे। आज वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत भी होगा।

19 अक्टूबर गुरुवार को उपांग ललिता व्रत होगा।

20 अक्टूबर शुक्रवार को माता सरस्वती का आवाहन होगा।

21 अक्टूबर शनिवार को सभी पूजा पंडाल में मां जगदंबा की प्रतिमाओं की स्थापना होगी और जनमानस को दर्शन के लिए अनुमति दे दी जाएगी।

22 अक्टूबर रविवार को श्री दुर्गा अष्टमी का व्रत होगा। माता महागौरी की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।

23 अक्टूबर सोमवार को महानवमी का व्रत होगा। माता सिद्धिदात्री देवी के दर्शन होंगे। आज सायं काल 5:44 पर दशमी तिथि का प्रवेश हो जाने के कारण विजयदशमी अर्थात् दशहरा का त्यौहार धूमधाम से देश दुनिया में मनाया जाएगा। बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में घर-घर में भगवान श्री राम और मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। आज के ही दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। अतः जहां-जहां रामलीला का आयोजन होगा। वहां-वहां रावण का पुतला दहन भी आज की रात्रि में किया जाएगा।

दिव्य रश्मि परिवार की ओर से सभी पाठकों और समस्त देशवासियों को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

24 अक्टूबर मंगलवार को सभी दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। आज जगतगुरु माधवाचार्य जी का जन्म उत्सव भी मनाया जाएगा।

25 अक्टूबर बुधवार को पापंकुशा एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा। आज के दिन काशी के नाटी इमली नामक स्थान पर भारत मिलाप का आयोजन किया जाएगा।

26 अक्टूबर गुरुवार को प्रदोष व्रत होगा।

28 अक्टूबर शनिवार को स्नान दान और व्रत की पूर्णिमा होगी। आज की पूर्णिमा को शरद् पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। आज ही महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म उत्सव भी मनाया जाएगा। शरद् पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज की रात भगवान श्री कृष्ण ने रासलीला रचाई थी। इसलिए इसे रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और ब्रजभूमि में विशेष रूप से मनाया जाता है। आज की रात माता लक्ष्मी, कुबेर आदि की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। धन ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है। आज माता लक्ष्मी जी का जन्म उत्सव मनाया जाएगा। इसे बंगाली समाज में लक्खी पूजा के नाम से जाना जाता है।

आज चंद्र ग्रहण भी होगा।

विशेष टिप्पणी: भगवान सूर्य अपनी वर्तमान कन्या राशि को छोड़कर अपने शत्रु शुक्र की प्रिय राशि तुला राशि में 18 अक्टूबर बुधवार के दिन दोपहर 3:38 पर प्रवेश कर जाएंगे। जहां पर स्वयं नीच राशि में होंगे। यह सूर्य की सबसे कमजोर स्थिति होती है। सूर्य के नीच राशि में प्रवेश करते ही थोड़ी-थोड़ी ठंडक आरंभ हो जाएगी।

11 अक्टूबर बुधवार को रात 10:23 पर भगवान भास्कर हस्त नक्षत्र को छोड़कर मंगल के नक्षत्र चित्रा में प्रवेश कर जाएंगे। जिसके कारण बादलों का घिराव रहेगा और साधारण वर्षा होने की संभावना है। आश्विन कृष्ण पक्ष के तीन शनिवार और शनिवार की अमावस्या जनमानस के लिए पीड़ा दायक होगा। किसी प्रकार की दैविक या प्राकृतिक घटना से धन जन को हानि पहुंच सकती है।

25 अक्टूबर बुधवार को दिन में 8:13 पर भगवान सूर्य राहु के स्वाति नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जिसके फलस्वरूप सभी प्रकार की धातुओं सोना, चांदी, तांबा इत्यादि, तेल, हींग, कपूर, लाख, गुग्गुल, हल्दी और रुई के मूल्यों में तेजी का झटका आएगा। कुल मिलाकर यह पक्ष सामान्य घटनाकारी है।


चंद्र ग्रहण से संबंधित विशेष जानकारी

28 अक्टूबर शनिवार की रात को खंड ग्रास चंद्र ग्रहण लगेगा। भारतीय समय के अनुसार चंद्र ग्रहण का समय रात्रि 1:05 से प्रारंभ होगा। ग्रहण का मध्य रात्रि 1:44 पर होगा और ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2:30 पर होगा। इस प्रकार रात्रि 2:30 पर खंडग्रास चंद्र ग्रहण समाप्त हो जाएगा। यह चंद्र ग्रहण अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि पर लग रहा है। जिसके कारण मेष राशि वालों के लिए यह ग्रहण घातक रहेगा। अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि वालों को यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए। सभी राशि वालों के लिए चंद्र ग्रहण का फल इस प्रकार होगा....

मेष के लिए घातक, वृषभ के लिए हानि, मिथुन के लिए लाभप्रद, कर्क के लिए सुखप्रदायक, सिंह के लिए मानहानि, कन्या के लिए मृत्युतुल्य कष्ट, तुला के लिए स्त्री पीड़ा दायक, वृश्चिक के लिए सामान्य, धुन के लिए चिंताजनक, मकर के लिए व्यथा देने वाला, कुंभ के लिए धनलक्ष्मी प्रदान करने वाला और मीन राशि वालों के लिए हानि का योग लेकर आ रहा है।

ग्रहण के अशुभ फल से बचने के लिए ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान करके अन्न, वस्त्र, द्रव्य इत्यादि का दान अवश्य करें और ग्रहण के समय सूर्य का, चंद्रमा का और भगवान शिव के मंत्रों का विशेष जाप करें। अपने-अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप करें। गायत्री मंत्र का जाप करें तो इससे सभी प्रकार के कष्टों से बचा जा सकता है। तंत्र-मंत्र के लिए, मंत्र सिद्धि के लिए ग्रहण का समय अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। आमतौर पर शरद पूर्णिमा की रात को अर्थात् कोजागरी पूर्णिमा के अवसर पर खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण किया जाता है। किंतु इस वर्ष चंद्र ग्रहण लग जाने के कारण रात्रि में खीर बनाकर रखना और उसका सेवन करना शुभ नहीं माना जाएगा। अतः दिन में ही चंद्र ग्रहण का सूतक लगने से पहले घरों में, मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करके खीर का भोग भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष रखकर उसमें तुलसी पत्र, कुश इत्यादि डालकर भोग लगा लें और सूतक आरंभ होने के पहले ही इसका सेवन कर लें।

यदि रात भर चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखना हो तो भी सूतक लगने के पहले खीर पका लें और उसमें दूध, चावल, शक्कर के अलावा घी का प्रयोग अवश्य करें। अर्थात् घी डालकर खीर पकाएं और उसमें तुलसी के पत्ते और कुश डालकर चंद्रमा की रोशनी में रख दें और अगले दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद उस खीर को प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाए तो इससे लाभ होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर की शाम 5:05 से आरंभ हो जाएगा। अतः सूतक से पूर्व ही खीर इत्यादि का सेवन उचित होता है। ग्रहण के सूतक लगने के पश्चात स्वस्थ व्यक्ति को अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। विशेष परिस्थिति में बालक, वृद्ध और रोगियों को भोजन करने की छूट दी जाती है। जल पीने की भी छूट दी जाती है। किंतु किसी भी परिस्थिति में ग्रहण के समय किसी को भी अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। यदि अति आवश्यक हो तब उस स्थिति में तुलसी के पत्ते डालकर अन्न, जल ग्रहण किया जा सकता है।

दिव्य महाप्रयोग

विजयादशमी अर्थात् दशहरा अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है। इस दिन कोई भी नया कार्य आरंभ किया जाए तो उसमें विशेष लाभ और विशेष उन्नति प्राप्त होती है। कारोबार, व्यापार आरंभ करने के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। आज के दिन कई प्रकार के दिव्य प्रयोग किए जाते हैं‌। जिनमें से एक है शमी की लकड़ी से किए जाने वाला प्रयोग। यह अत्यंत चमत्कारी प्रयोग होता है। इसका लाभ प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया जा सकता है। आप सभी के लिए यह सर्वश्रेष्ठ प्रयोग बताने जा रहा हूं। आप इसका प्रयोग करके लाभ उठा सकते हैं। इस वर्ष विजयदशमी 23 अक्टूबर को शाम 5:44 के बाद आरंभ हो रहा है। अतः शाम के समय शमी की एक लकड़ी को पान के पत्ते में लपेटकर उस पर रक्षा सूत्र लपेटें और किसी भी देवी मंदिर में जहां मां जगदंबा की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठित स्थाई रूप से बिठाई गई हो उस मंदिर में मां जगदंबा के श्री विग्रह के श्री चरणों से स्पर्श कर के प्रार्थना करें कि हे माता, कृपा करें। किसी प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमा से किसी भी वस्तु को स्पर्श कराने का अर्थ होता है उस सर्वश्रेष्ठ ऊर्जा से स्पर्श कराकर उसे भी ऊर्जावान बनाना।

अब उसे घर लाकर लाल कपड़े में लपेटकर अपने पूजा स्थान पर रख दें।

किसी महत्वपूर्ण मीटिंग अथवा किसी महत्वपूर्ण कार्य से कहीं जाना हो, किसी से मिलने जाना हो तो उसे अपने साथ लेकर जाएं। अद्भुत चमत्कारिक परिणाम प्राप्त होगा। आप जिस कार्य से जा रहे हैं वह कार्य अवश्य ही सिद्ध होगा। जिस व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं उस व्यक्ति पर आपका विशेष प्रभाव पड़ेगा और आपके बिगड़े काम बनने आरंभ हो जाएंगे।

इति शुभमस्तु !! कल्याणमस्तु!!
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