मां और मायका

मां और मायका

दोनों ही हैं बहुत खास शब्द ,
सुन्दर सा मां और मायका ।
मां तो होती यह खास ही ,
खास होती वहां की जायका ।।
मां ही मां को जन्म है देती ,
जो मां बनती है शादी बाद ।
शादी बाद मां जन्म है देती ,
मायका होती सदा ही याद ।।
मां का घर ही मायका होती ,
मां ने ही मां को जन्म दिया ।
बेटी की बेटी बेटी को जनी ,
बेटी रूपी मां को धन्य किया ।।
मां से ही मायका यह होता ,
मां होती मायका का कारण ।
बेटी तीन कुल आबाद करती ,
मां ही होती सबका निवारण ।।
बहुत खास होते भैया भाभी ,
किंतु मां बिन मायका कहां ।
मान सम्मान आदर भी मिलता ,
मायके की वह जायका कहां ?
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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