औरंगाबाद में मिथिलेश मधुकर ने साहित्य की अविरल धारा प्रवाहित की

औरंगाबाद में मिथिलेश मधुकर ने साहित्य की अविरल धारा प्रवाहित की 

मैंने अपने जीवनकाल में साहित्यकार तो बहुतेरे देखा परंतु 'साहित्यकार सर्जक' के रूप में गुरुदेव मिथिलेश मधुकर सा दूसरा नहीं देखा। यह बात औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्त्वावधान में कविवर मिथिलेश मधुकर की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा के संचालन क्रम में महामंत्री धनंजय जयपुरी ने कही। सभा की अध्यक्षता प्रोफ़ेसर सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने की। सर्वप्रथम साहित्य सेवियों द्वारा दिवंगत मधुकर जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई, तत्पश्चात् उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि मधुकर जी के निधन से औरंगाबाद ने एक ऐसे काव्यकार को खोया है जिसकी भरपाई करना निकट भविष्य में असंभव प्रतीत होता है। वे औरंगाबाद के दिनकर के रूप में ख्यात थे। अपने संबोधन में मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने कहा कि अपनी दो कृतियों 'स्वयमेव' एवं 'बोधिसत्व' के माध्यम से मधुकर जी ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है। समकालीन जवाबदेही के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति को 'मधुकर स्मृति सम्मान' प्रदान किए जाने की वकालत की। डा हनुमान राम ने मधुकर जी को साहित्य का ऊर्जावान साधक बताया वहीं डॉ रामाधार सिंह एवं लवकुश प्रसाद सिंह ने पर्यावरण में काव्य की अजस्र धारा प्रवाहित करने वाला कवि बताया। प्रो शिवपूजन सिंह, कविवर के अग्रज रमेश मिश्र एवंअनुज बेचैन ने उन्हें साहित्यिक एवं सामाजिक समरसता का आधार स्तंभ बतलाया। अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह एवं लालदेव प्रसाद ने कहा की मधुकर सर ने जिले के लगभग साढ़े तीन सौ साहित्यकारों की रचनाएं 'शब्द के चितेरे' नामक पुस्तक के तीन भागों में समाहित करने का अद्भुत कार्य किया है जो बिहार में अद्वितीय है।अविनाश पाठक, हिमांशु चक्रपाणि एवं नागेन्द्र केसरी ने उनके संस्मरण से जुड़ी ग़ज़ल एवं कविताओं का पाठ किया। ज्योतिर्विद शिव नारायण सिंह ने कहा कि मधुकर जी की प्रेरणा एवं अतिशय प्रयास की बदौलत ही मैंने तीन-तीन पुस्तकों का प्रणयन कर सका। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने स्व0 मधुकर को दिनकर के साथ-साथ महावीर प्रसाद द्विवेदी की उपाधि से अलंकृत किया। इस अवसर पर उपरोक्त शब्द-साधकों के अलावे जिन व्यक्तियों ने अपने-अपने भाव प्रसून अर्पित किये उनमें रामभजन सिंह, वैजनाथ सिंह, मनोज मिश्र, प्रभात मिश्र, पुरुषोत्तम पाठक, मुरलीधर पांडेय,जनार्दन मिश्र जलज, लालदेव सिंह, बैजनाथ सिंह, उज्ज्वल रंजन, राकेश रंजन, ओमप्रकाश पाठक, चंदन पाठक सहित चार दर्जन लोग उपस्थित थे।
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