बहिष्कार वेलेंटाइन
ऋचा श्रावणी
१४ को इजहार करते हैं
१५ को हो जाती है तकरार
यह कैसी अंग्रेजी सभ्यता हैं
करो इसका बहिष्कार
अंग्रेज तो व्यापारी थे
वह मोह से कहा से जुड़ते थे
धन तो उनकी प्राथमिकता थी
तभी तो आपस में सबको तोड़ते थे
दूसरी तरफ हैं हमारा सनातन विचार
जिसमें हैं सत्य,संवेदन और सदाचार
मां सती की याद में ध्यान में चले गए
महादेव को पाने मां घोर तपस्या में लीन हो गई
सरल नहीं था उनका जीवन
प्रेम, तप,त्याग और था सयम
वर्षो इन्होंने एकांत में बिताए
परन्तु किसी और को मन में नहीं बसाए
तभी तो फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को ब्याह रचाए
एक दूसरे को बराबर का स्थान देते
ना स्वयं से कम न जायदा रखते
यह प्रेम की वो मिसाल है
एक दुजे को अपना आधा अंग समझ कर अर्धनारेश्वर कहलाना
इससे अच्छा क्या कोई प्रमाण है
प्रेम वासना का प्रतीक नहीं
यह तो त्याग और सम्मान का द्योतक हैं
इससे अच्छा उदाहरण क्या
किसी देश में मिलेगा कहीं।
जय सनातन धर्म
🙏
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