जनता को न्याय जनता की भाषा में ही मिलना चाहिए : न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद

जनता को न्याय जनता की भाषा में ही मिलना चाहिए : न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद

दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर |
बिहार बार काउंसिल भवन के ब्रजकिशोर स्मृति सभागार में पटना उच्च न्यायालय में "जनता को न्याय जनता की भाषा हिंदी में" विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन मंगलवार को भारतीय भाषा अभियान बिहार प्रदेश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर किया गया।
उक्त अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद मुख्य ने अतिथि के रुप में बोलते हुए कहा कि जनता को न्याय, जनता की भाषा में ही मिलना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के एक पूर्ण पीठ के द्वारा दिए गए फैसले को विस्तृत रूप से उद्धृत करते हुए कहा कि यह फैसला हिन्दी को न्यायपालिका की भाषा बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्य वक्ता के रूप में पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ अंशुमान ने कहा कि जनता को न्याय, जनता की मातृभाषा हिन्दी में मिले, इस बात का उन्होंने पुरजोर समर्थन किया और साथ में उन्होंने हिन्दी भाषा के सरलीकरण पर विशेष जोर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत अधिवक्ता शिखा सिंह परमार ने सरस्वती वंदना तथा ॐ का उच्चारण से की और भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
विषय प्रवेश भारतीय भाषा अभियान के प्रदेश संयोजक अधिवक्ता परमानन्द प्रसाद ने किया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान के अनुच्छेद 343 में यह प्रावधान किया था कि संविधान लागू होने के बाद आगे पंद्रह बर्षों तक अंग्रेजी भाषा सरकारी कार्यालयों में प्रयोग होती रहेगी। 15 वर्षों के बाद अंग्रेजी की जगह हिन्दी को स्थापित करना था, लेकिन आज 75 वर्षों के बाद भी हमारे देश के नेताओं की लापरवाही के कारण ऐसा हो ना सका। उन्होंने कहा कि भारत का न्यायालय भारतीयों के लिए है, इसलिए न्याय एवं न्यायालय की कामकाज की भाषा भारत की भाषा होनी चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार बार काउंसिल के अध्यक्ष एवं वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने की। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संघ के समन्वय समिति के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा विषय की महत्ता पर प्रकाश डाला।
अभियान के संरक्षक डॉ अजीत कुमार पाठक ने मातृभाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है।
मंच का संचालन इंद्रदेव प्रसाद अधिवक्ता ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता राजेश कुमार।
उक्त अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रदेश संयोजक डॉ अरुण कुमार सिंह ने भी विषय के समर्थन में अपनी बात संक्षेप में रखा। कार्यक्रम में अभियान के व्यवस्था प्रमुख लक्ष्मी कांत पांडे, वरीय अधिवक्ता प्रेम कुमार झा, राजनीति प्रसाद समेत कई गणमान्य लोग शामिल थे।
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