बिहार में मुख्यमंत्री कौन नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव? आर सी पी सिंह के समय इतना कमजोर नहीं दिखता था जदयू,जदयू में सब कुछ ठीक नहीं लगता|

बिहार में मुख्यमंत्री कौन नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव? आर सी पी  सिंह के समय इतना कमजोर नहीं दिखता था जदयू,जदयू में सब कुछ ठीक नहीं लगता|

दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर |
सामान्यतः किसी भी कार्यक्रम में जहां राज्यपाल आते है वहाँ राज्यपाल के पहुँचने से पहले तक सभी आगंतुक (वीआईपी) अपना अपना जगह पर आसीन हो जाते है। उसी प्रकार कार्यक्रम में जहां मुख्यमंत्री को भाग लेना रहता है तो वहाँ मुख्यमंत्री के आने से पहले सभी आगंतुक (वीआईपी) अपना अपना जगह पर आसीन हो जाते है लेकिन इस तरह का प्रोटोकॉल अनुपालन बिहार के चौथे कृषि रोड मैप लाने के लिए सरकार द्वारा “किसान समागम” कार्यक्रम में नहीं देखा गया।
अब प्रश्न उठता है कि इस प्रोटोकॉल का अनुपालन किसने नहीं किया। सूत्रों के माने तो सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम जिसमें मुख्यमंत्री को शामिल होना था, प्रोटोकॉल के अनुसार मुख्यमंत्री के नीचे स्तर तक के सभी लोगों को मुख्यमंत्री के आगमन से पहले अपने अपने स्थान पर आसीन हो जाना चाहिए था। इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित कृषि मैप से जुड़े कई विभाग के मंत्रियों और अधिकारियों को शामिल होना था और कार्यक्रम पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होना था। कार्यक्रम में मंच अधीन सभी लोग में सिर्फ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को छोड़कर सभी लोग अपने अपने स्थान पर आसीन थे तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्वाह्न 11.15 बजे कार्यक्रम में उपस्थित हुए।
कार्यक्रम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधिवत शुरुआत की। लेकिन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की कुर्सी खाली रही। काफी समय के बाद करीब अपराह्न 1.30 बजे तेजस्वी यादव कार्यक्रम में बापू सभागार पहुंचे। इस कार्यक्रम में आश्चर्य की बात यह लगी की हर कार्यक्रम में जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गर्मजोशी के साथ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की स्वागत करते रहे हैं वह भाव यहां नहीं दिखी। यहां यह भी देखा गया कि आमतौर पर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार जिस सभा में होते हैं वहां दोनों नेताओं में खूब बातचीत करते हुए और दोनों के बीच की नजदीकियां देखने को मिलती थी, वह नहीं था।
अब राजनीतिक गलियारों में यह कयास तेज हो गई है कि जदयू और राजद में अब नहीं बन रही है। पार्टियों की माने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 13 दिसंबर 2022 को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाने का ऐलान कर दिया था। तब उन्होंने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लीड करने की बात कही थी। सूत्रों ने कहा कि बापू सभागार में कार्यक्रम में शामिल होने के बाद लौटते वक्त जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पत्रकारों ने इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने सस्पेंस पर से पर्दा उठा दिया। पत्रकारों के सामने ही उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का हाथ पकड़कर पीछे से आगे लाते हुए उनके कंधे पर हाथ रख कर कहा कि 2025 में महागठबंधन का नेतृत्व यही करेंगे।
सूत्रों ने बताया कि उधर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि 2025 में चुनाव तेजस्वी प्रसाद के नेतृत्व में लड़ेगें। जो मुख्यमंत्री ने कहा और जो मैंने कहा, उसमें कहां विरोधाभास है? उन्‍होंने कहा कि 2025 में तेजस्वी प्रसाद नेतृत्व करेंगे, निर्णय तो मुख्यमंत्री जी ने बता दिया। मुख्यमंत्री जी पार्टी के सर्वमान्य नेता हैं, वह जो निर्णय करते हैं हम सब मान लेते हैं।
ऐसी स्थिति में महागठबंधन की मुख्य घटक दल राजद खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई है। सूत्रों के अनुसार चर्चा यह है कि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के राजतिलक की तैयारी पूरी की जा रही है। राजद खेमे में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि तेजस्वी के सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजने वाला है। चर्चा तो यह भी है कि
होली के तुरंत बाद बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं मुख्यमंत्री की गद्दी सौंपेंगे। उसके बाद नीतीश कुमार केंद्रीय स्तर की राजनीति के लिए दिल्ली चले जाएंगे।
जब से जदयू ने भाजपा का साथ छोड़कर राजद के साथ बिहार में सरकार बनाई है और जदयू के पूर्व अध्यक्ष आर सी पी सिंह को पद से हटाकर राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को अध्यक्ष बनाया है तब से जदयू के पार्टी की छवि दिनों दिन गिरती जा रही है। अब तो मुख्यमंत्री के प्रिय मित्र उपेन्द्र कुशवाहा ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और अपनी अलग एक पार्टी बना ली है। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है की आर सी पी सिंह जब जदयू के अध्यक्ष थे तो पार्टी को और कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में बांधकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दायें हाथ के रूप में मजबूती से पार्टी पर पकड़ बनाए हुए थे। उनका होना पार्टी और मुख्यमंत्री के लिए अच्छा था और उनका हटना पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए पतन का शुभारंभ हो गया है। यहां भय कि बात यह है की अगर जदयू अपने नेता और कार्यकर्ताओं पर पकड़ नहीं बनाये रखते है तो आने वाले समय में कहीं राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू अध्यक्ष के रूप में सफल अध्यक्ष होने पर प्रश्न न उठने लगे। क्योंकि जब जदयू के दिग्गज नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही, महागठबंधन में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को, अभी से ही बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रमोट करने लगें है, तो इससे लगता है कि जदयू में सब कुछ ठीक नहीं है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ