सच को सच कहते हो, ज़हर उगलते हो,
सुभाष को अग्र कहते हो, ज़हर उगलते हो।
नेहरू गाँधी अम्बेडकर, आज़ादी के दिवाने,
पटेल- भगत की प्रशंसा, ज़हर उगलते हो।
प्रचार हुआ झूठ का, सबने यह सच देखा,
इस सच का नक़ाब हटाते, ज़हर उगलते हो।
बाँटा हमने मुल्क दो टुकड़ों में, धर्म नाम पर,
भाईचारे पर सवाल उठाते, ज़हर उगलते हो।
मुस्लिम हित की बात सदा की, नेहरू गाँधी ने,
हिन्दू हित की बात बताते, ज़हर उगलते हो।
जाति धर्म- ऊँच नीच में बाँटा, वोट बैंक ख़ातिर,
सनातन की सन्तान बता कर, ज़हर उगलते हो।
आरक्षण की सुई लगाकर, गधे को घोड़ा बतलाया,
सत्ता सुख की ख़ातिर, जाति धर्म में अलग कराया।
तुष्टिकरण का बाण चला, मुस्लिम का हक़ बतलाया,
हिन्दुत्व का मान- धर्म सम्मान बता, ज़हर उगलते हो।
रामायण को दलित विरोधी हमने बतलाया,
राम काल्पनिक, जग में यह प्रचार कराया।
बोई बेल झूठ की, मन्दिर को मस्जिद दिखलाया,
सच को सच बतलाकर बैर कराते, ज़हर उगलते हो।
अ कीर्ति वर्द्धन
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