जर्मनी की विदेश मंत्री को जयशंकर ने दिया जवाब
जी-7 देशों की तरफ से रूसी कच्चे तेल की कीमत 60 रुपये प्रति बैरल पर सीमित कर देने के बाद भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से कच्चे तेल के आयात का मजबूती से बचाव किया। विदेश मंत्री एस जशंकर ने कहा कि पिछले 9 महीनों में भारत ने यूरोपीय तेल का केवल छठा हिस्सा ही खरीदा है। भारत यात्रा पर आईं जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ कई मुद्दों पर बातचीत के बाद एक मीडिया ब्रीफिंग में जयशंकर ने कहा कि यूरोप अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए भारत से इससे अलग अपेक्षा नहीं कर सकता। विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार बढ़ाने पर बातचीत यूक्रेन युद्ध शुरू होने से काफी पहले ही प्रारंभ हो गए थे। दोनों विदेश मंत्रियों ने एक द्विपक्षीय समग्र प्रवासन व आवाजाही साझेदारी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए जिससे दोनों देशों के लोगों को एक दूसरे के देश में पढ़ना और काम करना आसान हो जाएगा। दोनों पक्षों ने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, पर्यावरण बदलाव और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी जताई।
भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के बीच हिन्द प्रशांत, यूक्रेन संकट, अफगानिस्तान में स्थिति, पाकिस्तान से जुड़े मुद्दे, सीरिया की स्थिति सहित क्षेत्रीय और वैश्विक विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ द्विपक्षीय सहयोग के विविध आयामों पर विस्तृत चर्चा की। बैठक के बाद जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ संयुक्त प्रेस संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के कारोबार को बढ़ाने के बारे में चर्चा यूक्रेन संघर्ष से काफी पहले शुरू हुई थी। जयशंकर ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर कहा कि यह बाजार से जुड़े कारकों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि फरवरी से नवंबर तक यूरोपीय संघ ने रूस से अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन का आयात किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि संषर्घ की स्थिति (यूक्रेन में) है। मैं यह भी समझता हूं कि यूरोप का एक विचार है और यूरोप अपने विकल्प चुनेगा और यह यूरोप का अधिकार है लेकिन यूरोप अपनी पसंद के अनुसार ऊर्जा जरूरतों को लेकर विकल्प चुने।
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