फ्लाप निकला बिलावल का विलाप

फ्लाप निकला बिलावल का विलाप

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
नरेन्द्र मोदी की विश्वव्यापी लोकप्रियता से बिलबिलाने वाले भी कम नहीं हैं। भारत से लेकर चीन और पाकिस्तान तक ऐसे लोग हैं। नरेन्द्र मोदी भारी जनादेश से दूसरी बार प्रधानमंत्री बने लेकिन भारत के विपक्षी नेता आज तक इस संवैधानिक स्थिति को स्वीकार नहीं सके हैं। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खाडगे ने उन्हें दस सिर वाला रावण बताया था। इसी पार्टी के शिखर पुरुष राहुल गांधी की पूरी राजनीति मोदी विरोध तक सिमट गई है। मोदी के विरोध में चलने वाली मुहिम से पाकिस्तान खुश होता है।जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब यूपीए सरकार ने उन्हें घेरने में जमीन आसमान एक कर दिया था। यह सिलसिला दस वर्षों तक निरन्तर चलता रहा। भारत में ऐसे करने वालों को हर बार मुँह की खानी पड़ी है लेकिन लगता है कि अब पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बिलबिलाने की बारी है। बलावल ने गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी पर अमर्यादित आरोप शब्दों का प्रयोग किया। वैसी पाकिस्तानी विदेश नीति के हिसाब से ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। लेकिन कठिनाई बिलावल की ही थी। पाकिस्तान की अंतरिक सियासत के मद्देनजर उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। वस्तुतः पाकिस्तान की सरकार सेना के रहमोकरम पर रहती है। इसमें भी विदेश और रक्षा मन्त्रालय अघोषित रूप से सेना के नियन्त्रण में रहते हैं। बिलावल मुखौटा मात्र हैं।उन्हें सेना के इशारों पर ही चलना होता है।पिछले कुछ समय से सेना पूर्व प्रधानमंत्री इमरान के बयानों को लेकर परेशान हैं।वह अनेक बार नरेन्द्र मोदी की खुल कर तारीफ कर चुके हैं। इमरान ने कहा था कि पाकिस्तान के नेताओं को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीख लेनी चाहिए। वह ईमानदार हैं, उनका मजबूत नेतृत्व है। क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद भारत ने अमेरिका पर दबाव बनाए रखा और जनता को राहत प्रदान करने के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदा। इमरान ने कहा कि उनकी सरकार भी देश की एक स्वतंत्र विदेश नीति की मदद से ऐसी ही कोशिश कर रही थी। भारत एक खुद्दार देश है। कोई भी सुपरपावर उसे डिक्टेट नहीं कर सकती कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अपने देश के दुर्भाग्य पर बात करते हुए इमरान खान ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान ने एक साथ आजादी हासिल की थी लेकिन भारत तरक्की करते हुए कहां से कहां तक पहुंच गया जबकि पाकिस्तान को हमेशा टिश्यू पेपर की तरह यूज करके फेंक दिया गया।उधर भारत को जी ट्वेंटी की अध्यक्षता मिलना भी पाकिस्तान और उसके आका चीन को पसन्द नहीं आया है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नरेन्द्र मोदी का कद बहुत बढ़ा है। वह दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माने गए हैं। रूप यूक्रेन युद्ध की समाप्ति में नरेन्द्र मोदी की भूमिका को ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना है। संयुक्तराष्ट्र संघ महासचिव, यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष सहित अनेक देश इस प्रकार का विश्वास व्यक्त कर चुके है। यह बता चीन और पाकिस्तान को परेशान कर रही है। इसी बीच अमेरिका के रक्षा बजट से भी इनकी परेशानी बढ़ गई है। इसमें चीन के विरुद्ध भारत की सामरिक सहायता करने का प्रावधान किया गया हैं। बिलावल के बयान को इसी संदर्भ में देखना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेन्द्र मोदी आज जिस मुकाम पर है, वहाँ इस प्रकार के बयानों की कोई अहमियत नहीं है।

गौरतलब है कि बिलावल ने उन्हीं शब्दों का प्रयोग किया जिन्हें यूपीए सरकार के समय गढ़ा गया था। उसी के मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं ने भगवा आतंकवाद हिन्दू आतंकवाद जैसी शब्दों का अविष्कार किया था। वही लोग नरेन्द्र मोदी के प्रति अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करते थे। यूपीए सरकार ने मोदी को घेरने में पूरी मशीनरी लगा दी थी। लेकिन उनके मंसूबे सफल नहीं हुए। आज वही शब्द बिलावल दोहरा रहा है। उसने कहा कि कोई भी शब्दाडंबर भारत में श्भगवा आतंकवादश् के अपराधों को छुपा नहीं सकता। सत्ताधारी पार्टी की राजनीतिक विचारधारा हिंदुत्व ने नफरत, अलगाव और सजा से बचाव के माहौल को जन्म दिया है।भारत की हिंदुत्व आधारित राजनीति में सजा से बचाव की संस्कृति गहराई से जुड़ी हुई है। दिल्ली-लाहौर समझौता एक्सप्रेस पर हुए घिनौने हमले के दोषी और मास्टरमाइड को छोड़ दिया गया। इस हमले में भारत की जमीन पर चालीस पाकिस्तानी मारे गए थे। ये आरएसएस-बीजेपी के तहत न्याय के नरसंहार को दिखाता है। जैसे कि भारत पीड़ित होने का झूठ रचता है लेकिन वो खुद भारत के अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में दमन का अपराधी है। वो खुद दक्षिण एशिया में आतंकी समूहों का प्रायोजक और फाइनेंसर है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी प्रधानमंत्री मोदी पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री की टिप्पणी को लेकर फटकार लगाई।कहा कि ये टिप्पणियां पाकिस्तान के लिए एक नया निचला स्तर है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री की हताशा उनके अपने देश में आतंकवादी गुटों के मास्टरमाइंडों के खिलाफ होनी चाहिए, जिन्होंने आतंकवाद को अपनी राज्य नीति का हिस्सा बना लिया है। पाकिस्तान को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने। पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताया था। कहा कि पाकिस्तान की इतनी साख नहीं कि वो भारत पर उंगली उठाए। अब मेक इन पाकिस्तान टेररिज्म पर रोक लगानी होगी। न्यूयॉर्क, मुबंई, पुलवामा, पठानकोट और लंदन शहर में पाकिस्तान समर्थित और प्रायोजित आतंकवाद के जख्म मौजूद हैं। पाकिस्तान के स्पेशल टैररिस्ट जोन्स से आतंकवाद उत्पन्न हुआ और दुनिया भर में फैल गया। पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को शहीद बताकर इज्जत दी जाती है। हाफिज सईद, लखवी, मसूद अजहर, साजिद मीर और दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादियों को शरण दी जाती है। अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान का व्यवहार अभी भी ज्यादा नहीं बदला है। पाकिस्तान अब आतंकवादियों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। बिलावल भुट्टो को असभ्य बयान इसी का नतीजा है। बिलावल भुट्टो को अपने देश में मौजूद आतंक के मास्टरमांइड्स को लेकर बयान देने चाहिए। जिन्होंने आतंकवाद को देश की नीति का हिस्सा बना दिया है। जो देश ओसामा बिन लादेन की मेहमाननवाजी कर रहा था, जिसने अपने पड़ोसी की संसद पर हमला किया, वह किसी को उपदेश देने के काबिल नहीं है।
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