यश के साथ विजय की कुर्सी पर बैठे भूपेन्द्र

यश के साथ विजय की कुर्सी पर बैठे भूपेन्द्र

(मनीषा-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
गुजरात में लगातार सरकार बनाने का भाजपा ने कीर्तिमान बनाया है। इसका श्रेय जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को है तो दूसरी तरफ भूपेन्द्र पटेल भी इसके उतने ही हकदार हैं। विजय रूपाणी को हटाकर भाजपा हाईकमान ने भूपेन्द्र पटेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था, तब यही कहा जा रहा था कि पार्टी की गुटबंदी विधानसभा चुनावों पर असर डाल सकती है लेकिन भूपेन्द्र पटेल ने जहां एक तरफ थोड़ा नाराज चल रहे पाटिल समुदाय को संभाला, वहीं पार्टी की एकजुटता को भंग नहीं होने दिया। हालांकि पटेल को कांग्रेस के खेमे से भाजपा में लाने में भी भूपेन्द्र पटेल की अहम भूमिका बतायी जाती है। भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव हुए तब कई प्रकार की आशंकाएं जतायी गयी थीं। अरविन्द्र केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को तो मुख्य प्रतिद्वन्द्वी ही घोषित किया जा रहा था। टिकट न मिलने पर भाजपा के कई नेता निर्दलीय चुनाव मैदान में थे लेकिन भूपेन्द्र पटेल की चुनावी रणनीति ने सभी प्रतिद्वन्द्वियों को धूल चटाते हुए भाजपा को इतने विधायक दिलाये जितने गुजरात राज्य की स्थापना होने के बाद से अब तक कभी नहीं मिले थे। सिविल इंजीनियर भूपेन्द्र पटेल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से अनुशासनात्मक राजनीति सीखी है। वह नगर पालिका के सदस्य और अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इस प्रकार जमीनी स्तर के राजनेता हैं और आम जनता से उनका संवाद रहता है। भूपेन्द्र पटेल ने 12 दिसंबर को गंाधी नगर में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है। उनके शपथ ग्रहण में शामिल होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक दिन पहले ही गुजरात आ गये थे। भाजपा को प्रचण्ड बहुमत से विजय दिलाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद में रोड शो करके आभार भी जताया है। भूपेन्द्र पटेल का मुख्यमंत्री के रूप में लगातार यह दूसरा कार्यकाल होगा। राज्य में तीन निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन देने का अपनी तरफ से प्रस्ताव दे चुके हैं। यहां तक कि आम आदमी पार्टी के विधायक भी भाजपा में जाने को तैयार दिख रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण से एक दिन पहले अहमदाबाद में एक रोड शो किया। उनकी पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 156 सीटों पर भारी जीत दर्ज की,जो कि वर्ष 1960 में राज्य के गठन के बाद किसी भी पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की सबसे बड़ी संख्या है। जिन सड़कों से पीएम मोदी का काफिला गुजर रहा था। वहां लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा और उन्होंने उनका अभिवादन किया। प्रधानमंत्री भी लोगों का अभिवादन करते और हाथ हिलाते हुए नजर आए। पीएम मोदी भूपेंद्र पटेल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। पटेल ने लगातार दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने नई सरकार के गठन से पहले राज्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी के ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद 9 दिसम्बर को राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

मुख्यमंत्री पटेल राज्य के बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल,गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ऋषिकेश पटेल और गुजरात के मुख्य सचेतक पंकज देसाई के साथ करीब 12 बजे सरकार का इस्तीफा सौंपने के लिए राजभवन पहुंचे थे। राज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। बीजेपी ने 182 सदस्यीय विधानसभा में 156 सीटें जीती हैं,जो कि राज्य में उसका अब तक का सबसे बड़ा चुनावी आंकड़ा है।विपक्षी कांग्रेस केवल 17 सीटें हासिल कर सकी जबकि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को सिर्फ 5 सीटों से संतोष करना पड़ा। तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गईं,जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) ने राज्य में एक सीट जीती है। सन् 1960 में इस राज्य की स्थापना के बाद से गुजरात में बीजेपी की लगातार सातवीं विधानसभा चुनाव जीत सबसे बड़ी जीत है।

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पटेल का यह लगातार दूसरा कार्यकाल होगा। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गांधीनगर में पटेल को राज्य के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलायी। भूपेंद्र पटेल का जन्म 15 जुलाई, 1962 को अहमदाबाद में हुआ था। भूपेंद्र पटेल ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर रखा है। डिप्लोमा के बाद भूपेंद्र पटेल ने बिल्डर का काम शुरू किया। ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े हुए थे। साल 1995, 1999, 2004 में भूपेंद्र पटेल नगरपालिका के सदस्य बने और 2004 में मेमनानगर नगरपालिका के अध्यक्ष बने। वर्ष 2017 में भूपेंद्र पटेल पहली बार घाटलोडिया से विधायक बने थे। इन्होंने रिकॉर्ड 1.17 लाख वोट से चुनाव जीता था। भूपेंद्र पटेल पहली बार साल 2021 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। ये बड़े पाटीदार नेता के तौर पर जाने जाते हैं और कई पाटीदार संगठनों के प्रमुख है। पाटीदार आंदोलन खत्म कराने में इनकी अहम भूमिका थी। गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र के हिस्से और पाटीदार बहुल घाटलोडिया सीट ने गुजरात को दो मुख्यमंत्री दिए हैं- भूपेंद्र पटेल और आनंदीबेन पटेल। यह भाजपा का गढ़ है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बावजूद 2017 में भूपेंद्र पटेल ने यह सीट 1.17 लाख मतों के बड़े अंतर से जीती थी। भाजपा ने पहले ही यह घोषणा कर दी है कि चुनाव के बाद पटेल के हाथों में ही राज्य की कमान रहेगी।

गुजरात में सूत्रों की मानें तो आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए उनके विधायकों का एक वर्ग बीजेपी की ओर देख रहा है। उन्ही में से एक भूपत भायाणी ने इस बात से इंकार किया है कि वह आधिकारिक रूप से पार्टी से बाहर जाने का रास्ता देख रहे हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि इस मामले पर जनता की राय मायने रखती है। यह टिप्पणी आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के इस दावे से अलग है कि मेरा कोई भी हीरा बिक्री के लिए नहीं है। इसके जरिए उन्होंने दावा किया था कि उनका कोई भी नेता दल बदल नहीं करेगा। भायाणी ने हालांकि कहा कि मैं भाजपा में शामिल नहीं हुआ हूं, लेकिन मैं जनता से पूछूंगा कि क्या मुझे बीजेपी में शामिल होना चाहिए या नहीं। दरअसल, कमजोर विपक्ष के रूप में बेंच पर बैठने से वे उन लोगों के लिए कुछ नहीं कर पाएंगे, जिन्होंने उन्हें वोट दिया है। मेरी सीट किसानों वाले क्षेत्र की है। मुझे उनकी सिंचाई संबंधी समस्याओं को हल करना है। इस क्षेत्र में कई व्यापारी भी हैं, मुझे उनकी भी मदद करनी है। अगर सरकार के साथ संबंध ठीक नहीं होंगे तो मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा। मैंने अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा है। पोजिटिव रिस्पांस मिला है। अब मैं जनता और नेताओं की सलाह लूंगा। उन्होंने ये भी कहा कि गुजरात के लोगों ने नरेंद्र मोदी और बीजेपी को रिकॉर्ड जनादेश दिया है। मैं इसका सम्मान करता हूं। मैं पहले बीजेपी के साथ था और नेताओं के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं। भायाणी पहले बीजेपी में थे और बागी होकर आप में शामिल हो गए थे। उन्होंने जूनागढ़ जिले के विसावदर निर्वाचन क्षेत्र से अपनी जीत का श्रेय बीजेपी विधायक के रूप में किए गए अपने काम को दिया। इस प्रकार भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में यश के साथ विजय का उत्सव मना रही है।
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