किसानों को हुनर सीखने भेजा जाएगा विदेश

किसानों को हुनर सीखने भेजा जाएगा विदेश

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
उत्तराखण्ड में खेती के लिए जमीन कम है लेकिन बेहतर तकनीक से कम जमीन में भी अच्छी पैदावार की जा सकती है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने राज्य के किसानों के प्रतिनिधियों को विदेश भेजने का फैसला किया है। धन सिंह रावत ने प्रत्येक सीडीओ और डीएम से अपने-अपने जिले के एक-एक प्रगतिशील किसान का नाम मांगा है। इन किसानों को उन्नत खेती के लिए विदेशों का भ्रमण कराया जाएगा। इसके साथ ही देश के अन्य राज्यों जैसे हिमाचल, राजस्थान आदि में 10-10 किसानों का प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा। ये किसान वहां के कृषि माड्यूल को समझेंगे। सहकारिता मंत्री की योजना में यह भी शामिल है कि राज्य के सेब, डेयरी, भेड़, बकरी आदि पालने वाले 10-10 प्रगतिशील किसानों को कश्मीर, गुजरात, गोवा, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों के भ्रमण पर सरकारी खर्चे से भेजा जाए। इस प्रकार राज्य में किसानों की आदमनी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। केन्द्र सरकार से भी किसानों को मदद मिल रही है। इसमें मोदी सरकार की किसान मानधन योजना के राज्य के सभी किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गत 9 नवम्बर को उत्तराखण्ड के स्थापना दिवस समारोह में कहा भी था कि राज्य के सीमित संसाधनों से ही राज्य को देश के सबसे मजबूत राज्यों की पंक्ति में खड़ा करना है। सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत इसी दिशा में प्रयास करते दिख रहे हैं।

उत्तराखण्ड में सहकारिता विभाग अब किसानों को विदेश भेजने की तैयारी में है। डिपार्टमेंट ने सभी सीडीओ, डीएम को अपने-अपने जिले से एक-एक प्रगतिशील किसान की लिस्ट देने को कहा है, जो अपने अपने फील्ड में अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसे किसानों को उन्नत खेती के लिए विदेशों में विजिट करवाया जाएगा, साथ ही 10-10 किसानों को हिमाचल प्रदेश, लेह, लद्दाख, राजस्थान जैसे प्रदेशों में विभागीय खर्चे पर वहां के मॉड्यूल को समझने के लिए भेजा जाएगा। इसके अलावा बद्री घी को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रपोजल बनाने के भी निर्देश दिए गये हैं।

सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सेब, डेयरी, भेड़ बकरी, मछली के 10-10 प्रगतिशील किसानों को

अध्ययन के लिए कश्मीर, हिमाचल, गुजरात, गोवा, आंध्र प्रदेश , राजस्थान, लेह, लद्दाख भेजा जाएगा, ताकि किसान वहां का अध्ययन कर अपने यहां और प्रगति कर सकें। उन्होंने कहा कि 2019 से राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना 4 विभागों द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी कर रही है। इसके अच्छे नतीजे अब सामने आ रहे हैं। मंत्री डॉ रावत ने कहा कि परियोजना कोऑपरेटिव कलेक्टिव फार्मिंग भी कर रही है जौनपुर और चंपावत में सब्जी और अदरक की पैदावार किसान अच्छा कर रहे हैं। उन्होंने डेयरी विभाग को निर्देश दिया है कि बद्री गाय पर विशेष रूप से फोकस किया जाए 100 करोड़ रुपए की बद्री गाय को बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रुपए प्रस्ताव और प्रोजेक्ट बनाए जाएं। परियोजना निदेशक डेयरी ने बताया कि गत वर्ष डेयरी को 22 करोड़ रुपए मिले थे। इस वर्ष 13 करोड़ में से 3 करोड़ 26 लाख खर्च हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि बद्री की महानगरों में 2500 किलो बिक रहा है। इसकी बहुत डिमांड बढ़ी है।

राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना किसानों के लिए चलाई जा रही केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत किसानों को सालाना 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि 2 हजार रुपये की तीन किश्तों में किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। इस योजना के लाभार्थी किसान पीएम मानधन योजना का भी लाभ उठा सकते हैं। पीएम मानधन योजना देश के किसानों के लिए चलाई जाने वाली ऐसी योजना है जिसके तहत किसानों को पेंशन उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना में रजिस्टर करने के लिए किसानों को अलग से कोई फॉर्म भरने की जरूरत नहीं पड़ती है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना में रजिस्ट्रेशन करने पर पीएम किसान मानधन योजना में भी आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। देश के छोटे और सीमांत किसानों को मासिक पेंशन देने के मकसद से पीएम किसान मानधन योजना शुरू की गई है। इसके तहत 60 साल की उम्र के बाद लाभार्थियों को हर महीने 3 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलने लगेंगे। इस हिसाब से किसानों को सालाना 36 हजार रुपये मिलेंगे। इस योजना के लिए 18 से 40 साल तक की उम्र का कोई भी किसान रजिस्ट्रेशन कर सकता है। पेंशन के लिए उन्हें अपनी उम्र के हिसाब से इस योजना में हर महीने पैसे जमा करना पड़ता है।

पीएम किसान मानधन योजना के तहत किसानों को हर महीने 3,000 रुपये की पेंशन दी जाती है। इस योजना के लिए प्रीमियम सम्मान निधि के तहत मिलने वाले पैसों से ही काटा जाता है लेकिन ऐसा करने के लिए आपको एक फॉर्म भरने की जरुरत पड़ती है। पीएम किसान मानधन योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाले पैसे में से प्रीमियम भरना पड़ता है। इसके प्रीमियम की राशि 55 रुपये से लेकर 200 रुपये तक होती है। 60 साल की उम्र के बाद प्रीमियम के पैसे कटना बंद हो जाते हैं और किसानों को हर महीने 3 हजार रुपये की पेंशन मिलने लगती है। उत्तराखण्ड में साल दर साल चावल और मक्के जैसे अनाजों के उत्पादन क्षेत्र में कमी देखने की मिल रही है तो दूसरी ओर इन्हीं वर्षों में मटर, मसूर और चने समेत अन्य दालों का उत्पादन क्षेत्र बढ़ा है। वीरान होते गांवों में जंगली जानवरों का आतंक भी इसके पीछे बड़ा कारण है। दालों के उत्पादन में कम लागत के बावजूद अच्छी कीमत मिलने की संभावना होती है जिससे काश्तकारों का इस ओर लगातार रुझान बढ़ रहा है।राज्य सांख्यिकीय विभाग से जारी आंकड़ों के मुताबिक चावल का उत्पादन वर्ष 2018-19 में 259348 हेक्टेयर भूमि पर किया जाता था जो सिमट कर 254528 हेक्टेयर रह गया है। प्रदेश में धान यानी चावल की खेती का उत्पादन हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंह नगर, नैनीताल जिलों में और पौड़ी गढ़वाल जिले के भाबर क्षेत्र में होता है। मक्के की खेती अकेले देहरादून जिले में 33 प्रतिशत होती है, जिसका रकबा तीन-चार वर्षों में 21384 से घटकर 20185 हेक्टेयर रह गया है। दालों की बात करें तो इनके उत्पादन के लिए पानी की आवश्यकता कम पड़ती है। इसके अलावा उत्पादन में लागत भी कम लगती है। इसलिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किसानों को खेती का हुनर सीखने के लिए विदेश भेजने का फैैसला किया है।
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