गुजरात में भाजपा की चुनावी रणनीति

गुजरात में भाजपा की चुनावी रणनीति

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

हिमाचल प्रदेश के लिए चुनाव प्रचार थम गया और भाजपा ने पूरा जोर गुजरात विधानसभा चुनाव पर लगा दिया है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रत्याशी चयन की ऐसी रणनीति बनायी है जिससे विपक्षी राजनीतिक दल हतप्रभ दिख रहे हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हार्दिक पटेल को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया और उनको यह जिम्मेदारी भी दी गयी कि पाटिल समुदाय के वोट पूरी तरह भाजपा को मिलें। इसी प्रकार क्रिकेटर रवीन्द्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को जामनगर उत्तर से प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से मौजूदा विधायक धर्मेन्द्र सिंह का टिकट काटा गया और वह भी जडेजा समुदाय के हैं। इसलिए क्षेत्र में सामुदायिक नाराजगी का सामना पार्टी को नहीं करना पड़ेगा। राज्य में हाल ही में हुई मोरबी पुल दुर्घटना से लोगों को नाराजगी थी। इसलिए पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को मोरबी से प्रत्याशी बनाया गया है। कांतिलाल अमृतियां ने ट्यूब पहन कर मोरबी पुल हादसे में लोगांें की जान बचाई थी। वहां के लोग कांतिलाल को फरिश्ता बता रहे हैं। इस प्रकार भाजपा ने बूथों के उत्तम प्रबंधन के साथ प्रत्याशियों के चयन में भी दूरदर्शिता दिखाई है। राज्य की 182 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए 1 और 5 दिसम्बर को मतदान होगा।

गुजरात में पिछले 27 साल से लगातार सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार भी जोर-शोर से इसी कोशिश में जुटी है कि कहीं सत्ता हाथ से निकल न जाए, और इसके लिए उन्होंने उम्मीदवार चुनते वक्त अपनी रणनीति में बदलाव किया है। भाजपा ने इस बार न सिर्फ सांसदों-विधायकों के रिश्ते-नातेदारों को टिकट देने से परहेज किया है, बल्कि 75 पार के नेताओं को प्रत्याशी बनाने से भी कतई बचती नजर आई है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भाजपा ने 160 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, और अब सिर्फ 22 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने रह गए हैं। भाजपा की पहली सूची में 75 चेहरे रिपीट किए गए हैं, यानी पिछली बार भी उन्हीं प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था, और 38 चेहरे कतई नए हैं। जाने-माने क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को जामनगर नॉर्थ से उम्मीदवार बनाया गया है और कांग्रेस से भाजपा में आए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को बीरमग्राम सीट से मौका दिया गया है, जो अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने इस बार बड़ी तादाद में युवाओं को तरजीह दी है। इसके अलावा, भाजपा को अपनी पेज समिति रणनीति पर विश्वास है, जिसके फिलहाल लगभग 90 लाख सदस्य हैं। इन सदस्यों से उम्मीद की जाती है कि ये सभी कुछ मतदाताओं को पार्टी की उपलब्धियों के बारे में बताकर प्रेरित कर सकते हैं।

गुजरात में 4.9 करोड़ मतदाता हैं, और संभावना है कि भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच होने जा रहे त्रिकोणीय मुकाबले में 70 फीसदी मतदान हो सकता है। भाजपा को कुल 50 से 60 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है और पार्टी कम से कम 150 सीटों पर अपनी जीत पक्की मान रही है। भाजपा के मुताबिक, आप की वजह से सिर्फ कांग्रेस को नुकसान होगा, भाजपा को नहीं। भाजपा का मानना है कि आप को 10 से 15 फीसदी वोट मिल सकते है।

भाजपा को जीत की उम्मीद का कारण मुख्य रूप से प्रत्याशी चयन है। पार्टी ने भारतीय क्रिकेट ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को जामनगर उत्तर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है, और इस सीट के मौजूदा विधायक धर्मेन्द्रसिंह एम. जडेजा का टिकट काट दिया गया है। इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को भी वीरमग्राम से पार्टी उम्मीदवार बना दिया गया है।

हाल ही में हुए मोरबी पुल हादसे की वजह से सुर्खियों में रही मोरबी विधानसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को उम्मीदवार बनाया है, जो कथित रूप से हादसे के वक्त लोगों की जान बचाने के लिए नदी में कूद गए थे। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को घाटलोडिया विधानसभा सीट से पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। पहली बार चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में रिवाबा जडेजा शामिल हैं, जो वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल हुई थीं। रिवाबा मैकेनिकल इंजीनियर हैं, और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरि सिंह सोलंकी की रिश्तेदार हैं।

कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सात प्रत्याशी हैं, जो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर ही लड़े थे। इनमें प्रद्युम्न जडेजा तथा अश्विन कोतवाल शामिल हैं। गुजरात कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल 2017 में चुनाव नहीं लड़ पाए थे, क्योंकि उस वक्त उनकी आयु 25 वर्ष से कम थी। गुजरात में पहले चरण के मतदान में 89 सीटों पर 1 दिसंबर और दूसरे चरण में 5 दिसंबर को 93 सीटों पर वोटिंग होगी। मतगणना, यानी चुनाव परिणाम की घोषणा 8 दिसंबर को की जाएगी। नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गृहराज्य गुजरात में भाजपा पिछले 27 साल से लगातार सत्ता में है, और इस बार सूबे में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी जोर-शोर से प्रचार में जुटी हुई है। हार्दिक पटेल महज 29 साल की उम्र में ही गुजरात की राजनीति में पटेल आंदोलन के दम पर एक अलग पहचान बनायी है। पहले कांग्रेस और अब बीजेपी की तरफ से उनके ऊपर भरोसा जताया गया। गौरतलब है कि जिस सीट पर हार्दिक को बीजेपी ने उतारा है उस सीट पर पिछले 2 चुनावों से पार्टी को हार का सामना करना पड़ रहा है। हार्दिक पटेल पाटीदार समाज से आते हैं और पाटीदार पिछले 3 दशक से बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं। हालांकि पार्टी को केशुभाई पटेल के बाद एक मजबूत पाटीदार नेता की जरूरत रही है। कम उम्र के हार्दिक के पार्टी में आने के बाद बीजेपी उस कमी को पूरा करना चाहती है। पटेल आंदोलन के दौरान गुजरात में हार्दिक पाटीदार युवाओं के बीच एक यूथ आइकन के तौर पर उभरे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन में उन्होंने बड़ी-बड़ी सभा की थी। हार्दिक पटेल ने पिछले चुनाव में गांवों में सभा के दौरान जय किसान जय जवान का नारा लगवाया था। अहमदाबाद की सड़कों पर भी उन्होंने बड़े-बड़े रोड शो कर कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में माहौल बनाया था। ऐसे में पाटीदार आंदोलन के चेहरे के तौर पर भी हार्दिक बीजेपी को राजनीतिक लाभ दिला सकते हैं। भाजपा की चुनावी रणनीतियां अन्य दलों से बेहतर नजर आ रही हैं।
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