अब्दुल बारी को राजद की कमान
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
बिहार के कद्दावर नेता जगदानंद सिंह की लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप सिंह से अनबन हो गयी थी। इसी के बाद लग रहा था कि पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव हो सकता है। बाबू जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर संभाल रहे हैं। पिछले दिनों वह दिल्ली गये थे और पार्टी के मुखिया लालू यादव से मुलाकात भी की थी। इसके बाद यह बयान आया कि जगदानंद अस्वस्थ हैं और अपना पद छोड़ना चाहते हैं। इसी के साथ यह चर्चा भी होने लगी कि तेजस्वी यादव अब्दुल बारी सिद्दीकी को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपने वाले हैं। इसके पीछे दो, कारण बताये गये। पहला यह कि तेज प्रताप यादव की नाराजगी के चलते जगदानंद को उनके पद से हटाना ही था। दूसरा कारण यह कि गोपाल गंज के विधान सभा उपचुनाव में एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी के चलते जिस प्रकार राजद को पराजय का सामना करना पड़ा हैं, ऐसी हालत कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव में न आये क्योंकि वहां भी ओवैसी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है। अब्दुल बारी सिद्दीकी राज्य में ओवैसी के प्रभाव को कितना कम कर पाते हैं, यह कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव का नतीजा साबित कर देगा। हालांकि यहां मुकाबला सहनी बनाम सहनी का होने जा रहा है।
बिहार की राजनीति में अब्दुल बारी सिद्दीकी काफी जाने पहचाने हैं। वह कभी लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सके लेकिन सात बार बिहार में विधान सभा चुनाव जीते। वह 80 के दशक में अलग-अलग दलों की सरकार में मंत्री भी रहे हैं। मौजूदा समय में दरभंगा की अलीनगर सीट से विधायक हैं। वह 1977 में पहला विधान सभा चुनाव जीतकर कर्पूरी ठाकुर की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने थे। अब लालू यादव के बहुत करीबी हैं।
लालू प्रसाद की पार्टी राजद में जारी अंदरूनी कलह के बीच पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम लगभग फाइनल हो गया है। पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे जगदानंद सिंह का पद से हटना तय हो चुका है तो इधर अगले प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अब्दुल बारी सिद्दीकी का चयन भी हो चुका है। राजद के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब्दुल बारी सिद्दीकी ही अगले प्रदेश अध्यक्ष होंगे। पार्टी में प्रधान महासचिव का जिम्मा लालू यादव के बेहद खास और करीबी भोला यादव को दिया जाने वाला है।
बताया जा रहा है कि सिद्दीकी दो बार दिल्ली जा चुके हैं। लालू प्रसाद से उनकी मुलाकात भी हुई है। माना जा रहा है कि 24 नवंबर से पहले ही उनके नाम की आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी। गौरतलब है कि लगभग 47 दिनों से राजद की तमाम गतिविधियों से जगदानंद सिंह दूर रहे हैं। ऐसे में उनके प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई की तैयारी शुरू हो गई है, जिस तरह उन्होंने बेटे के मंत्री पद से हटने के बाद पार्टी से दूरी बनाई उसके बाद से ही यह कयास लग रहे थे कि वह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ सकते हैं और अब यह साफ भी हो गया है।
राजद सूत्र यह भी बताते हैं कि जगदानंद कुछ दिन पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से मिलने दिल्ली गए थे जहां दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई। इस दौरान जगदानंद ने अपनी तबीयत ठीक नहीं होने की बात कहकर जिम्मेदारी से मुक्ति की बात कही थी। दिल्ली से लौटने के बाद भी पटना में न रूककर सीधे वो अपने गांव वापस लौट गए और अब तक वो पटना राजद कार्यालय वापस नहीं आए। ऐसे में पार्टी के पास उनकी जगह दूसरे प्रदेश अध्यक्ष के चयन के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था। इसी कारण से जगदानंद सिंह की जगह अब्दुल बारी सिद्दीकी को राजद के प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा दिया जा रहा है।
गोपालगंज के बाद अब कुढ़नी विधान सभा उप चुनाव में मुकाबला बेहद दिलचस्प और कांटे का माना जा रहा है। शुरुआत में तो मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार और महागठबंधन उम्मीदवार के बीच माना जा रहा था लेकिन, जैसे ही चुनावी संघर्ष में कुछ और राजनीतिक पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने ताल ठोंकी लड़ाई दिलचस्प हो गयी है। बाजी कौन मारेगा? यह आज पूरे दावे से कोई नहीं कर सकता है। दरअसल, कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं जो खेल को बिगाड़ने का पूरा माद्दा रखते हैं।
कुढ़नी से महागठबंधन ने जदयू उम्मीदवार के तौर पर मनोज कुशवाहा को उतारा है, जो कुशवाहा जाति से आते हैं. फिलहाल इस जाति के वोटरों का झुकाव जदयू उम्मीदवार की तरफ दिख रहा है लेकिन, बीजेपी भी इस वोट बैंक पर तगड़ा दावा कर रही है और इसी जाति के अपने कद्दावर नेता सम्राट चैधरी को इस वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए बड़ी जिम्मेदारी दे दी है। बीजेपी के उम्मीदवार केदार गुप्ता है। भाजपा और जदयू के मुकाबले के बीच जिन जातियों की जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका है, उनमें जो उम्मीदवार उतरे हैं वो खेल बनाने और बिगाड़ने में लगे हुए हैं। यहीं दिलचस्प हो गया है। विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी अपनी जाति (निषाद-मल्लाह जाति) के वोटर पर बड़ा दावा कर रहे हैं. वे कहते हैं कि सहनी और भूमिहार वोटर का एकमुश्त वोट मिलेगा और जीत हमारी होगी। वहीं बीजेपी भी अपने पार्टी के तमाम सहनी नेताओं को इस फ्रंट पर उतारने की तैयारी कर चुकी है। सहनी वोटर बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है।
पिछली बार सहनी उम्मीदवार के तौर पर अनिल सहनी राजद के टिकट पर चुनाव जीते थे। हालांकि, एक मामले में उनकी सदस्यता चली गई तो उनकी जगह जदयू उम्मीदवार के तौर पर मनोज कुशवाहा को टिकट दे दिया गया जिससे अनिल सहनी नाराज बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें तेजस्वी यादव ने मना लिया है। मगर अंदर ही अंदर उनके समर्थक क्या करते हैं, ये चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल पाएगा। राजद के लिए समस्या युवा राजद के पूर्व जिला अध्यक्ष और जिला पार्षद शेखर सहनी भी हैं। उन्होंने राजद से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में कूद चुके हैं। कहा जा रहा है कि ये मुकेश सहनी के साथ-साथ राजद के उम्मीदवार को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने नीलाभ कुमार को उम्मीदवार बनाया है जो भूमिहार जाति से आते हैं और कुढ़नी विधान सभा में भूमिहार जाति में इनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। ये बीजेपी और जदयू दोनों का खेल बिगाड़ रहे हैं। इस बार भूमिहार वोटों में बंटवारा तय दिख रहा है, क्योंकि मुकेश सहनी ने भूमिहार उम्मीदवार उतारकर दोनों के लिए मामला फंसा दिया है। खबर है कि जदयू के राष्ट्रीय प्रेसिडेंट ललन सिंह कुढ़नी में कैंप करने वाले हैं और भूमिहार वोटरों को जदयू के पाले में करने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे. वहीं, बीजेपी ने भी पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा को भूमिहार वोटरों को अपने पाले में करने के लिए जिम्मेदारी दी है। कुढ़नी में महागठबंधन के कोर वोटर मुस्लिम वोटर में भी सेंध लगाने के लिए आईएमआईएम ने अपने उम्मीदवार गुलाम मुर्तजा अंसारी को उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है।
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