राजनीति का पुरोधा मानव महान था

राजनीति का पुरोधा मानव महान था

सामाजिक न्याय हेतु, करते संघर्ष रहे।
जीवन में जिसे कभी देखा नहीं झुकते।।

कर्मठ इरादों के समक्ष टिक नहीं सकी।
झुकी थी बाधाएं सभी पलक झपकते।।

शिक्षक,पहलवान,ज्ञानी थे महान आप।
ताकतवरों को सदा बुद्धि से पटकते।।

कद था जरूर छोटा किन्तु थे इरादे बड़े।
'नेता जी' को देखा नहीं कभी मैंने थकते।।
*
दलित गरीब पिछड़ों के, साथ अगड़ों का।
रखता सदैव,अल्प संख्यकों का,ध्यान था।।

बिना भेद भाव के किए सदा सभी के काम।
साहित्य कला का खूब करता सम्मान था।।

'नेता जी' के नाम से 'मुलायम' प्रसिद्ध,सिद्ध।
दांव कौन कब चलना है उन्हें ज्ञान था ।।

कुशल खिलाड़ी बाजी जिसने न हारी कभी।
राजनीति का पुरोधा मानव महान था।।
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नाम तो मुलायम था निर्णय कठोर लेके।
संविधान को बचाने वाले आप नेता थे।।

बदनाम किया खूब,आपको विरोधियों ने।
किन्तु कभी हारे नहीं पार्थ थे विजेता थे।।

विधायक आठ औ सात बार सांसद बने।
दीन दुखियों के मार्गदर्शक प्रणेता थे।।

रक्षा मंत्री बनके किये थे विशिष्ट कार्य।
मुख्यमंत्री तीन बार यू पी के चहेता थे।।
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जन्म लेके सैफई को धन्य किया'नेताजी'ने।
देश में ऐसा न कोई विकसित गांव है ।।

आपका निधन देख प्रकृति भी रोई खूब ।
उसी धरती के सभी छूने आए पांव है।।

वटवृक्ष शोकग्रस्त होके धराशाई हुआ।
कितनों का जीवन उजड़ गया ठांव है।।

दिखता नहीं है और दूजा कोई नेता यहां।
जनता फसी है, मझधार बीच नाव है।।
*
~जयराम जय
'पर्णिका',बी -11/1,कृष्ण विहार,आ.वि.कल्याणपुर,कानपुर-208017 (उ०प्र०)
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