दवा बन गयी जहर, प्रतिष्ठा पर भी असर

दवा बन गयी जहर, प्रतिष्ठा पर भी असर

(अचिता-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
औषधियों की खोज में भारत का आधिपत्य रहा है। यजुर्वेद में इसका खजाना भरा है। इसीलिए हमारे संयुक्त परिवार में दादी मां के नुस्खे ही बच्चों को छोटी-मोटी बीमारियों से ठीक कर देते थे। ये नुस्खे आज भी कारगर हैं। हमारे देश में अक्सर लोग खांसी से छुटकारा पाने के लिए शहद का इस्तेमाल करते हैं। इससे फायदा भी होता है। अब तो खांसी के लिए कई सिरप बन गये हैं। हरियाणा की एक फार्मास्यूटिकल कम्पनी ने गाम्बिया को सिरप सप्लाई किये थे। वहां कई बच्चे असमय काल कवलित हो गये। दवा जहर बन गयी और हमारे देश की प्रतिष्ठा भी गिरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इनकी जांच करने को कहा था। बहरहाल, उस कम्पनी के चारों सिरप प्रतिबंधित कर दिये गये हैं। इस हादसे ने एक बार फिर याद दिलाया है कि खांसी आते ही तुरंत सिरप न पिलाएं बल्कि पहले धरेलू नुस्खे अपनाएं। यह बच्चों के हित में होगा।

गाम्बिया में कफ सिरप पीकर 66 बच्चों की मौत के मामले में हरियाणा सरकार ने बड़ी कारवाई करते हुए चारों कफ सिरप के प्रोडक्शन पर रोक लगा दी है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया, सोनीपत की फार्मास्युटिकल कंपनी के डब्ल्यूएचओ द्वारा बताई गई दवाओं के सैंपल कोलकाता के सेंट्रल ड्रग लैब भेजे गए थे। रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है, उसके बाद कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, केंद्रीय और हरियाणा राज्य के दवा विभागों के संयुक्त निरीक्षण में मैन्युफैक्चरिंग में लगभग 12 खामियां पाई गईं। इसे ध्यान में रखते हुए उत्पादन बंद करने का निर्णय लिया गया है। नोटिस दिया गया है। कंपनी को जारी एक कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि फर्म दवाओं के निर्माण और परीक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की लॉग बुक नहीं दिखा सकी। कफ सिरप के निर्माण के लिए प्राप्त संभावित खतरनाक रसायनों के बैच नंबर का उल्लेख नहीं किया गया है। रसायनों में प्रोपलीन ग्लाइकोल, सोर्बिटोल सॉल्यूशन और सोडियम मिथाइल पैराबेन शामिल हैं। प्रोपलीन ग्लाइकोल का एक बैच, जिसे कंपनी द्वारा विश्लेषण किया गया था और जिसे ‘मानक गुणवत्ता’ घोषित किया गया था, वह कुछ मामलों में विफल रहा। जांचकर्ताओं को कोई प्रक्रियागत परीक्षण रिपोर्ट प्रदान नहीं की गई।

हरियाणा राज्य औषधि नियंत्रक ने कंपनी को नोटिस जारी कर सात दिनों के अंदर जवाब देने को कहा था। कंपनी को 14 अक्टूबर तक जवाब देना होगा। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि हरियाणा के सोनीपत स्थित ‘मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा कथित तौर पर उत्पादित दूषित और कम गुणवत्ता वाले चार कफ सिरप पश्चिमी अफ्रीका के देश गांबिया में हुई बच्चों की मौत का कारण हो सकते हैं। चार उत्पाद प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप हैं। डीसीजीआई ने इस संबंध में जांच शुरू की और डब्ल्यूएचओ से विस्तृत ब्योरा मांगा। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कंपनी द्वारा निर्मित चार तरह के कफ सिरप के नमूनों को जांच के लिए कोलकाता स्थिति केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) भेजा था।

वहीं इस मामले पर कंपनी की ओर से कहा गया था कि पहले मीडिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिए बच्चों की मौत की खबर सुनकर स्तब्ध हैं। तीन दशक से मेडिकल क्षेत्र में काम कर रहे हैं और ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया और हरियाणा सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर के प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जाता है। इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया है कि पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत का लिंक भारत में बनी चार कफ सिरफ से हो सकता है, इसके बाद केंद्र सरकार ने हरियाणा स्थित फार्मास्युटिकल फर्म द्वारा निर्मित कफ सिरप की जांच शुरू कर दी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने भारत के औषधि महानियंत्रक को कफ सिरप को लेकर अलर्ट किया। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने तुरंत मामले को हरियाणा नियामक प्राधिकरण के समक्ष उठाया और विस्तृत जांच शुरू कर दी।

कफ सिरप हरियाणा के सोनीपत में मेसर्स मेडेन फार्मास्यूटिकल लिमिटेड द्वारा बनाई गई हैं। सूत्रों ने बताया कि अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, ऐसा लगता है कि फर्म ने इन उत्पादों को केवल गाम्बिया को निर्यात किया था। डब्ल्यूएचओ ने चेताया था कि हो सकता है कि सिरप पश्चिम अफ्रीकी देश के बाहर भी भेजी गई हों और एक वैश्विक जोखिम संभव है।

डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने मीडिया से कहा कि चार कोल्ड और कफ सिरप एक्यूट किडनी इंजरी और 66 बच्चों की मौत से संभावित रूप से जुड़े हुए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अभी तक मौत से जुड़े मामलों की विस्तृत जानकारी मुहैया नहीं करवाई है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अभी तक प्रोडेक्ट्स के निर्माता की पुष्टि करने वाले लेबल के जानकारी और फोटो शेयर नहीं की हैं। अभी तक डब्ल्यूएचओ ने यह जानकारी भी नहीं दी है कि ये मौतें कब हुईं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत निर्मित जिन चार कफ सिरप को लेकर भारत सरकार को चेताया था, उन्हें बनाने वाली कंपनी की तरफ से सफाई सामने आई है। कंपनी ने कहा कि सेंट्र्ल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से सैंपल लिए जा चुके हैं, उसके नतीजे आने अभी बाकि हैं। सैंपल के रिजल्ट आने तक इससे ज्यादा सफाई देना ठीक नहीं है। मौसम बदलने के साथ सर्दी जुकाम होना लाजमी है। छोटे बच्चे इसकी चपेट में पहले आते हैं क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम बड़ों की अपेक्षा उतनी स्ट्रॉन्ग नहीं होती है। ऐसे में उन्हें बदलते मौसम की मार से बचाना बहुत जरूरी होता है। बच्चों को अगर खांसी आनी शुरू होती है तो जल्दी बंद नहीं होती है। इसके लिए ज्यादातर लोग सिरप पिलाते हैं लेकिन बच्चों को सिरप पिलाने की बजाए कुछ घरेलू नुस्खे अपनाएं ये उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। अगर आप बच्चे की खांसी ठीक करना चाहते हैं तो उसे सबसे पहले तो गरम पानी दीजिए पीने के लिए ठंडा बिल्कुल ना दें। इसके अलावा आप उसे भाप दिलाने की कोशिश करें लेकिन बच्चा ज्यादा छोटा है तो उसकी नाक में स्प्रे कर सकते हैं डिस्टिल्ड वॉटर। बच्चा एक साल से ज्यादा उम्र का हो तो उसकी नाक में 2 से 3 बूंद डाल सकते हैं जबकि इससे कम उम्र वाले को 1 बूंद ही डालें। वहीं, बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं। अकसर लोग खांसी से छुटकारा पाने के लिए शहद का इस्तेमाल करते हैं। यह फायदेमंद होता है लेकिन बच्चों को नहीं देना चाहिए। यह उसकी सेहत पर विपरीत असर डाल सकता है। इसके अलावा आप बच्चे को विक्स भी लगा सकते हैं लेकिन बच्चा ज्यादा छोटा है तो ऐसा न करें। छोटे बच्चे को खांसी ज्यादा आए तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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