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नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति का पर्व है नरक चतुर्दशी

नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति का पर्व है नरक चतुर्दशी

सत्येन्द्र कुमार पाठक 
सनातन धर्म में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नकारात्मक ऊर्जाओं को जीवन से दूर करने के कारण नरक चतुर्दशी कहा गया है। वैदिक एवं विक्रम पञ्चाङ्ग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी 2079 दिनांक 23 अक्तूबर 2022 को संध्या 6 बजकर 03 मिनट से दिनांक 23 अक्तूबर 2022 को संध्या 05 बजकर 27 मिनट तक नरक चतुर्दशी , छोटी दीवाली , काली चौदस और रूप चौदस मनाई जाती है । कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले तिल का तेल मलकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती एवं साथ ही विधि-विधान से पूजा करने वाले को पापों से मुक्त होकर स्वर्ग को प्राप्त होते हैं। नरक चौदस के दिन संध्या के समय पूजा करके दीपक जलाने से अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है। नरक चौदस पर माता काली की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार को पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज, भगवान हनुमान और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। पूजा स्थल को साफ करके यहां आटे या चावल की मदद से एक स्वस्तिक बनाया जाता है । ईशान कोण या पूर्व दिशा में चौकी की स्थापना करें।जिस स्थान पर आप चौकी की स्थापना करेंगे, उसके दाएं तरफ एक घी का दीपक जलाएं। चौकी को स्थापित करके इस पर एक साफ लाल वस्त्र बिछाएं। इसे गंगाजल से शुद्ध कर भगवानों के आसन के स्वरूप में चौकी पर कुछ अक्षत डालें। इस चौकी पर माता लक्ष्मी, गणेश जी और श्रीकृष्ण भगवान के किसी भी स्वरूप को स्थापित करें।भगवान हनुमान जी की स्थापना भी इसी तरह से करें। बस ध्यान रखें, कि चौकी पर हनुमान जी ऐसे विराजित हो कि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो। यमराज जी की स्थापना में लिए चौकी पर बाएं तरफ, जो कि आपका दायां होगा, कुछ चावल आसन स्वरूप डालें, इस पर एक आटे का दीया बनाकर रखें औरऔर इसमें सरसो का तेल और चार बाती रखें। इस दीप को प्रज्वलित करें। 14 मिट्टी के दीपक प्रज्वलित करने के लिए पूजा की चौकी के पास रखें।अब जल पात्र से तीन बार आचमन विधि करें, और चौथी बार बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर हाथ साफ करें। इसके बाद स्वस्तिवाचन मन्त्र का उच्चारण करें।श्री गणेश, माता लक्ष्मी, भगवान कृष्ण, हनुमान जी और यमदीप पर गंगाजल छिड़कें।इसके बाद सभी देवों के लिए हल्दी, कुमकुम, रोली, चंदन, पुष्प आदि से पंचोपचार की क्रिया पूरी करें। चौकी पर विराजमान देवों को कलावा अर्पित करें। हनुमान जी के चरणों में भी चन्दन लगाएं।धुप, अगरबत्ती जलाएं और दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद भोग के लिए मिठाई और गुड़-चना रखें।सभी देवों को प्रणाम करें और अपने परिवार की मंगल कामना और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।यमराज जी के लिए जलाएं गए दीप को घर के बाहर रखें। और हाथ जोड़कर उनसे अच्छे स्वास्थ्य और और असमय मृत्यु से सुरक्षा की कामना करते हुए वापिस घर में आ जाएं। घर के सदस्यों में भोग अर्पित करें। नरक चतुर्दशी की पूजा करने से बुरी शक्तियां आपके घर में प्रवेश नहीं कर पाती और आपके घर में होने वाली अनहोनी भी टल जाती हैं। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भूमि पुत्र एवं काम रूप का राजा नरकासुर के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए भगवान कृष्ण की भार्या सत्यभामा द्वारा नरकासुर को बध कर आम लोगों को नरकासुर से मुक्ति दिलाई गई थी ।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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