मंदिरों में प्रस्तुत किए संगीत एवं नृत्य आध्यात्मिक प्रगति हेतु सहायक होते हैं ! - शोध का निष्कर्ष

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में शोधनिबंध प्रस्तुत !

मंदिरों में प्रस्तुत किए संगीत एवं नृत्य आध्यात्मिक प्रगति हेतु सहायक होते हैं ! - शोध का निष्कर्ष


प्राचीन काल में मंदिरों में देवताओं के सामने कलाकारों द्वारा कला प्रस्तुत करने पर श्रद्धालुओं को भाव की अनुभूति होती थी एवं उस विशिष्ट देवता का तत्त्व बडी मात्रा में वहां आकर्षित होता था । इसीलिए भारतीय मंदिर संपूर्ण समाज की आध्यात्मिक प्रगति एवं कल्याण के साधन थे । मंदिरों में प्रस्तुत किया गया संगीत एवं नृत्य आध्यात्मिक प्रगति हेतु सहायक हो सकता है, ऐसा शोध द्वारा निकाला गया निष्कर्ष महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के श्री. शॉन क्लार्क ने प्रस्तुत किया । प्रसिद्ध इंडोलॉजिस्ट तथा नई दिल्ली स्थित भारतीय विद्याभवन के ‘के.एम. मुंशी सेंटर’ के डीन डॉ. शशि बाला द्वारा आयोजित किए अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन वेबिनार में वे बोल रहे थे । ‘भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य की उत्पत्ति में भारतीय मंदिरों का महत्त्व’ इस विषय पर शोध निबंध श्री. शॉन क्लार्क और श्रीमती श्वेता क्लार्क ने ऑनलाइन प्रस्तुत किया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टर जयंत आठवलेजी इस शोध निबंध के लेखक हैं और श्री. शॉन क्लार्क सह लेखक हैं ।

श्री. शॉन क्लार्क ने आगे कहा कि एक परीक्षण में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संगीत एवं नृत्य विभाग के साधकों ने एक प्राचीन शिव मंदिर में भारतीय शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यू.ए.एस.) का उपयोग कर कलाकार, शिवलिंग तथा भगवान शिव की प्रतिमा इनका प्रभामंडल नापा गया । कार्यक्रम प्रस्तुत करने के उपरांत इन सभी की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि पाई गई । इस समय देवता का तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित होने के कारण देवता की प्रतिमा के प्रभामंडल में सर्वाधिक वृद्धि पाई गई । एक अन्य परीक्षण में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संगीत एवं नृत्य विभाग के एक साधक ने श्री दुर्गा देवी के मंदिर, एक सभागृह, आध्यात्मिक शोध केंद्र का स्टूडियो तथा आश्रम इन में एक भजन गाया । आश्रम एवं मंदिर में हुए प्रस्तुतीकरण के समय गायक की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि पाई गई; जबकि सभागृह में इस प्रस्तुतीकरण के समय सकारात्मक प्रभामंडल घट गया । इसका कारण यह है कि मंदिर एवं आश्रम सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत हैं तथा वहां भजन गाने से सकारात्मकता वृद्धिंगत होती है । जबकि सभागृह अथवा दर्शक दीर्घा केवल मनोरंजन के लिए उपयोग किए जाते हैं ।

हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ