लद्दाख से अच्छी खबर

लद्दाख से अच्छी खबर

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

भारत और चीन के मध्य पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। अब यहां से एक अच्छी खबर आ रही है। लद्दाख में गोगरा-हाॅट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट रही हैं। दोनों देश इस बात पर भी राजी हो गये हैं कि इस क्षेत्र में बनाए गये सभी अस्थायी ढांचों और अन्य बुनियादी ढांचों को भी तोड़ दिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जब यह जानकारी दी तब भारत-चीन सीमा पर शांति बहाल की संभावना प्रबल हुई है। यह फैसला उज्बेकिस्तान में होने वाली उस बैठक से पहले आया है जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी प्रतिभाग की संभावना है। हालांकि चीन पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि अरूणाचल प्रदेश की सीमा पर उसने छद्म युद्ध छेड़ रखा है। लगभग 15 दिन पहले की ही बात है जब हमारे विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ-साफ कह दिया था कि दोनों देशों के बीच संबंध तभी सामान्य होंगे जब सीमा पर हुए समझौतों का पालन चीनी सेना करेगी। खुशी की बात है कि अब उसी तरह का माहौल बन रहा है।

पूर्वी लद्दाख में दो साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में भारत और चीन ने अहम कदम उठाया है। दोनों देशों की सेनाओं ने 9 सितम्बर को घोषणा की कि उन्होंने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लद्दाख में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स से भारत और चीन की सेनाओं की वापसी 12 सितम्बर तक पूरी होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर रजामंद हुए है कि क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी ढांचों और अन्य बुनियादी ढांचों को तोड़ा जाए और दोनों पक्ष पारस्परिक रूप से इसकी पुष्टि करेंगे। भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय दोनों ने इसकी बयानों में पुष्टि की है। बयान के मुताबिक 8 सितम्बर को सुबह यह प्रक्रिया शुरू हुई और 12 सितंबर तक पूरी कर ली जाएगी।ध्यान देने वाली बात ये भी है कि प्रक्रिया सुबह शुरू हुई लेकिन आर्मी का बयान बिल्कुल शाम में आया यानी चीनी सैनिक पीछे हट रहे हैं, इसकी दिन भर तस्दीक करने के बाद बयान जारी किया गया। गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय के इस बयान से एक दिन पहले भारत और चीन की सेनाओं ने घोषणा की थी कि उन्होंने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने वार्ता जारी रखने और भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास शांति बहाल करने एवं शेष मुद्दों को सुलझाने पर सहमति जताई है।

मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस मामले से जुड़े सवालों के जवाब में कहा, ‘‘इस बात पर सहमति बनी कि इलाके में दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे और अन्य संबद्ध ढांचे ध्वस्त किए जाएंगे और इसकी पारस्परिक रूप से पुष्टि की जाएगी। इलाके में भूमि का वही प्राकृतिक रूप बहाल किया जाएगा, जो दोनों पक्षों के बीच गतिरोध की स्थिति से पहले था। गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी 2021 में पेंगोंग लेक और उसी साल अगस्त में गोगरा हॉट स्प्रिंग के पेट्रोलिंग पॉइंट 17 से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी थी। आपको बता दें कि जून 2020 को दोनों देशों की सेनाएं के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे और चीन के करीब 40 से 45 सैनिक मारे गए थे। पूर्वी लद्दाख में जारी तनातनी को देखते हुए चीन ने 50 हजार से ज्यादा सैनिक सीमा पर तैनात कर रखे हैं और भारत ने भी करीब उतने ही सैनिक तैनात कर रखे हैं, ताकि चीन की किसी भी हरकत का जवाब दे सके।दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर में 17 जुलाई को हुई बातचीत में यह फैसला हुआ कि गोगरा और हॉट स्प्रिंग यानि पी पी 15 से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी।

लद्दाख में भारत से मिल रही कड़ी चुनौती के बीच चीन ने अरुणाचल सीमा पर चहलकदमी बढ़ा दी है। जवाब में भारतीय सेना भी पूरी तैयार है और चीन से सटे 1962 के युद्ध के समय के 6 विवादित इलाकों और 4 संवेदनशील इलाकों में सतर्कता बढ़ाई गयी। पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध और तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि सीमा की स्थिति भारत और चीन के बीच आगे के संबंधों को तय करेगी। एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की शुरूआत के अवसर पर एक समरोह को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार, क्षेत्रीय सहयोग, संपर्क और एशिया के भीतर अंतर्विरोधों के प्रबंधन सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की। विदेश मंत्री ने कहा कि एशिया का भविष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि निकट भविष्य में भारत और चीन के बीच संबंध कैसे विकसित होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सकारात्मक पथ पर लौटने और टिकाऊ बने रहने के लिए संबंधों को तीन चीजों पर आधारित होना चाहिए- पारस्परिक संवेदनशीलता, पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक हित। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘उनकी वर्तमान स्थिति, निश्चित रूप से आप सभी को अच्छी तरह से पता है। मैं केवल यह दोहरा सकता हूं कि सीमा की स्थिति आगे संबंधों को तय करेगी।

भारतीय और चीनी सैनिकों का पूर्वी लद्दाख में दो साल से ज्यादा समय से टकराव वाले कई स्थानों पर गतिरोध बना हुआ है। उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप दोनों पक्ष क्षेत्र के कई क्षेत्रों से पीछे हटे हैं। हालांकि, दोनों पक्षों को टकराव वाले शेष बिंदुओं पर जारी गतिरोध को दूर करने में कोई सफलता नहीं मिली है। उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का अंतिम दौर पिछले महीने हुआ था लेकिन गतिरोध दूर करने में कामयाबी नहीं मिली।

चीन के साथ भारत के संबंधों पर विदेश मंत्री ने कहा था कि बीजिंग ने भारत के साथ सीमा समझौते की अवहेलना की, जिसका साया द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा था कि संबंध एकतरफा नहीं हो सकते हैं और रिश्तों में आपसी सम्मान की भावना होनी चाहिए।जयशंकर ने एशिया सोसायटी के अपने संबोधन में कहा, ‘‘एशिया की संभावनाएं और चुनौतियां आज काफी हद तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के विकास पर निर्भर हैं। वास्तव में, अवधारणा ही विभाजित एशिया का प्रतिबिंब है, क्योंकि कुछ का इस क्षेत्र को कम एकजुट और संवादात्मक बनाए रखने में निहित स्वार्थ है। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक हितों के लिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को क्वाड जैसे सहयोगी प्रयासों से बेहतर सेवा मिलती है, जाहिर तौर पर जिसके प्रति उनका उदासीन रूख है। विदेश मंत्री ने कहा कि एशिया में बुनियादी रणनीतिक सहमति भी विकसित करना स्पष्ट रूप से एक कठिन कार्य है। जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी, यूक्रेन संघर्ष और जलवायु गड़बड़ी के तीन झटके भी एशियाई अर्थव्यवस्था के विकास को प्रभावित कर रहे हैं। चीन के साथ भारत के संबंधों पर ताजा टिप्पणी के कुछ दिनों पहले विदेश मंत्री ने कहा था कि बीजिंग ने भारत के साथ सीमा समझौते की अवहेलना की, जिसका साया द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा था कि संबंध एकतरफा नहीं हो सकते हैं और रिश्तों में आपसी सम्मान की भावना होनी चाहिए। दोनों देशों की सेनाओं की विवादित क्षेत्र से वापसी इसी का संकेत है। दोनों देशों की सेनाओं की विवादित क्षेत्र से वापसी इसी का संकेत है।
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