जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी

जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य में शेख अब्दुल्ला के परिवार की सियासत अर्से तक रही है लेकिन अब वहां गुलाम नबी आजाद चर्चा में हैं। शेख के परिवार वे दो वारिस डा. फारुख अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को भी मतदाताओं ने ठुकरा दिया है, वहीं मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी महबूबा की भी राजनीति में पकड़ ढीली हो गयी हैं। अब तो यह एक केन्द्र शासित प्रदेश बन गया है जिसे उपराज्यपाल के रूप में मनोज सिन्हा संभाल रहे हैं। उपराज्यपाल ने 2 सितम्बर को जम्मू स्मार्ट सिटी की 14 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कहते हैं कि इन परियोजनाओं से जनता के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इसके साथ ही बेहतर सार्वजनिक सेवाएं और स्थानीय आर्थिक विकास के अवसर भी उपलब्ध होंगे। हालांक इन कदमों को भी राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों की दृष्टि से देखा जा रहा है। वहां की राजनीति में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा देकर हलचल पैदा कर दी। उनके साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया। गुलाम नबी आजाद ने राज्य में धारा 370 की बहाली को मुद्दा बना रखा है जो भाजपा को कभी मंजूर नहीं होगा। आजाद अपनी अलग पार्टी बनाएंगे इससे वहां की राजनीति में नए समीकरण बनेंगे। वे 4 सितम्बर को जम्मू पहुंच रहे हैं। इस संदर्भ में प्रदेश में कांग्रेस के नये अध्यक्ष विकार रसूल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं। उधर, जयराम रमेश जैसे नेता आजाद को चिढ़ा भी रहे हैं। इसलिए 3 सितम्बर को आजाद की ताकत दिख जाएगी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने 26 अगस्त को पार्टी के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर, कांग्रेस की खस्ता हालात और 2014 लोकसभा चुनाव में हार के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है. सोनिया गांधी को लिखी गई 5 पेज की चिट्ठी में आजाद ने कहा है, जनवरी 2013 में राहुल गांधी को आपके द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी में मौजूद सलाह-मशविरे के सिस्टम को उन्होंने खत्म कर दिया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और बिना अनुभव वाले चाटुकारों की मंडली पार्टी को चलाने लगी। साथ ही, गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश की कॉपी फाड़ने की घटना का भी जिक्र पत्र में किया है. उन्होंने इसको ही साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की वजह बताया है। उन्होंने कहा, उनकी अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण राहुल गांधी द्वारा मीडिया के सामने अध्यादेश को फाड़ना था. इस बचकाने व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार के अधिकारों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था।

जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मचे घमासान के बीच प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने त्यागपत्र में मीर ने कहा कि वह जो भी फैसला करेंगी वह मंजूर होगा। मीर पिछले सात साल से इस पद पर बने हुए थे। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में होने वाली विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी हाई कमान की ओर से किसी नए चेहरे को प्रदेश की जिम्मेदारी देने के लिए उनसे इस्तीफा दिलवाया गया है। इसी के बीद विकार रसूल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) में लंबे समय से गुलाम नबी आजाद और जीए मीर समूह में गुटबाजी हावी रही है। आजाद गुट मीर को हटाने के लिए लगातार दबाव बनाता रहा। पार्टी के मुख्य कार्यक्रमों से भी आजाद गुट के नेता दूरी बनाए रहे। मीर को बदलने के लिए आजाद गुट की ओर से कई बार पार्टी हाई कमान को पत्र लिखे गए। आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी हाई कमान आजाद की भूमिका को मौका देती, इससे पहले ही गुलाम नबी ने कांग्रेस छोड़ दी।

मीर को वर्ष 2015 में जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया गया था लेकिन उनके कार्यकाल में विभिन्न चुनाव के दौरान पार्टी अपेक्षा के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई है। पार्टी में गुटबाजी का चुनावों के दौरान भी नुकसान हुआ। मीर ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से पेशकश की थी कि अगर वह किसी और को अध्यक्ष बनाती हैं तो उन्हें यह फैसला मंजूर होगा। मैने पार्टी अध्यक्ष को जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) का अगला प्रमुख नियुक्त करने में सुविधा प्रदान करने के लिए अपना इस्तीफा दिया है। इसी बीच कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव का एलान हो गया है। तय कार्यक्रम के मुताबिक,19 अक्तूबर को कांग्रेस के नए अध्यक्ष का एलान हो जाएगा। 22 सितंबर को चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। नामांकन 24 सितंबर से 30 सितंबर तक दाखिल किए जाएंगे। अगर एक से ज्यादा उम्मीदवार हुए तो 17 अक्तूबर को चुनाव होगा। कश्मीर में गुलाम नबी आजाद के समर्थन में कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र देने का सिलसिला जारी है। इस श्रृंखला में उधमपुर में करीब 60 नेताओं व कार्यकर्ताओं ने एक पत्रकार वार्ता का आयोजन कर सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया। साथ ही गुलाम नबी आजाद का समर्थन करने की सार्वजनिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम उन्होंने अपना सामूहिक त्यागपत्र भेज दिया है। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को ऊंचाइयों पर ले जाने वाले गुलाम नबी आजाद की अनदेखी कर पार्टी हाईकमान ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। गुज्जर नेता गुलाम मोहम्मद ने कहा, आजाद ने प्रदेश के लिए जो किया है उसे कोई नहीं भूल सकता। उनके कार्यों को लेकर कांग्रेस ही नहीं बल्कि अन्य विपक्षी दल भी उन्हें सम्मान देते हैं। उन्होंने कहा कि हम आजाद के फैसले का सम्मान करते हैं। हम पहले भी उनके साथ चलते रहे और आगे भी उनके साथ चलेंगे, इसलिए कांग्रेस छोड़ दी है। पूर्व एमएलसी ने कहा, आजाद के समर्थन में लगातार पुराने कांग्रेसी नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। उनके साथ अन्य दलों के लोग भी जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। गुलाम नबी आजाद के समर्थक चार सितंबर को जम्मू आगमन पर उनके जोरदार स्वागत की तैयारी में जुट गए हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद आजाद पहली बार जम्मू में सार्वजनिक मंच से अपने समर्थकों को संबोधित करेंगे। इस दौरान वह नई पार्टी के एजेंडे की घोषणा भी करेंगे। जी 23 गुट के कई नेता भी इस अवसर पर मौजूद रह सकते हैं। सैनिक फार्म में आजाद के संबोधन के अलावा उनके समर्थक नेताओं का संबोधन भी होगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में विभिन्न पार्टियों से जुड़े कई नेता आजाद की मौजूदगी में उनके गुट में शामिल भी होंगे।
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