आईएनएस विक्रांत ने रचा इतिहास

आईएनएस विक्रांत ने रचा इतिहास

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
आत्मनिर्भर भारत अभियान शानदार तरीके से प्रगति कर रहा है। इसमें स्वदेशी से स्वावलंबन का संकल्प समाहित है।इस अभियान के अंतर्गत हुए अनेक कार्य विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित हुए हैं। दुनिया भारत के सामर्थ्य को देख रही है। नरेन्द्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की क्षमताओं को पहचाना। स्वदेशी उत्पाद से सेना को सुविधा संपन्न बनाने का संकल्प लिया गया। यह कार्य प्रगति पर हैं। इसके सकरात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत का 2 सितम्बर को जलावतरण इसका ताजा उदाहरण है।
पहले भारत रक्षा उत्पाद का आयातक मात्र था आज भारत रक्षा सामग्री का बड़ा निर्यातक बन चुका है।इस दिशा में लगातर प्रगति हो रही है। कुछ देशों को निर्यात के साथ शुरू हुई यह यात्रा अब तक पचहत्तर देशों तक पहुँच चुकी है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य पूरा हो रहा है। इसके दो पहलु हैं। एक भारत को स्वदेशी की भावना से सामरिक महाशक्ति बनाना, दूसरा भारत को रक्ष उत्पाद का बड़ा निर्यातक बनाना। इन दोनों पहलुओं पर एक साथ प्रगति हो रही है। आत्मनिर्भर भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा करने में सक्षम है। भारत को आर्थिक और शक्तिशाली बनाने के लिए सौ लाख करोड़ रुपये की योजना के माध्यम से कार्य किया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी सिस्टम में बदलाव से घोटालों को रोका है।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सरकार में कोई भी घोटाले का प्रयास नहीं कर सकता है। मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया योजना सफलता के साथ आगे बढ़ रही है। अगले तीन वर्षों में तेरह हजार करोड़ रुपये का निर्यात पचास हजार करोड़ रुपये पहुंचेगा। तीन सौ सुरक्षा यंत्र अब भारत में ही बनेंगे। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत अनेक योजनाएं संचालित हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश में भी निर्माणाधीन डिफेंस इंडस्ट्रियल काॅरिडोर से देश को रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। बीते वर्ष में वर्ल्ड मिलिट्री स्पेंडिंग लगभग दो ट्रिलियन यूएस डॉलर पर पहुंच चुकी थी। डिफेंस रिलेटेड डोमेस्टिक डिमांड में भी बढ़ोतरी होगी। भारत सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बन रहा है। देश का विकास पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बीच समन्वय से हो सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बीस साल पहले डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर के सौ प्रतिशत प्रतिभागिता की व्यवस्था की थी। कास्टिंग और फोर्जिंग के क्षेत्र में जिन भारतीय कंपनियों ने दुनिया में बड़ा नाम कमाया है पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड उनमें से एक है। पिछले दिनों राजनाथ सिंह ने लखनऊ में एयरोस्पेस और एयरोस्पेस में टाइटेनियम और निकिल के अलाय बनाने वाली पहली मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट का उद्घाटन किया गया था। भारत के अलावा अमेरिका, फिनलैंड, चीन, नॉर्वे व स्वीडन की बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियों को पीटीसी द्वारा अपने उत्पाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं। रक्षा विनिर्माण सुविधा विमान के इंजन, हेलीकॉप्टर इंजन, विमानों के लिए संरचनात्मक भागों, ड्रोन और यूएवी, पनडुब्बियों, अल्ट्रा लाइट आर्टिलरी गन, स्पेस लॉन्च व्हीकल और स्ट्रैटेजी सिस्टम आदि का निर्माण करेगी। कई भूमिकाओं में काम आने वाले दस टन के भारतीय हेलीकॉप्टर के डिजाइन और विकास में तेजी लाई जा रही है। हेलीकॉप्टर प्रौद्योगिकी में प्रगति रक्षा क्षेत्र के लिए प्रभावी होगी। भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान मिलेगी। अब तक निर्मित लगभग सात सौ चेतकों ने पूरे समर्पण के साथ युद्ध और शांति के समय में राष्ट्र की सेवा की है।

भारत ने स्वदेश में डिजाइन और विकसित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव और इसके वेरिएंट का निर्माण किया। पांच टन की श्रेणी में हेलीकॉप्टरों के डिजाइन, विकास और संचालन में अपनी ताकत दिखाई है। हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को युद्ध अभियानों के लिए हल्के हेलीकॉप्टरों में देश की क्षमता का यह एक उदाहरण है। वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए रक्षा उत्पादन और तैयारियों में आत्म निर्भरता हासिल करने का सरकार ने संकल्प लिया है। गत वर्ष डीआरडीओ ने उद्योग के साथ सवा दो सौ लाइसेंस समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की है। अब भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर रहा है। फाइटर प्लेन हेलीकॉप्टर, टैंक और पनडुब्बियों सहित के निर्माण के अवसर भी मेगा डिफेंस प्रोग्राम तहत शुरू किए हैं। डीआरडीओ के माध्यम से निःशुल्क ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी यूपी और तमिलनाडु के बीच शुरू की गई है। ट्रांसपोर्ट प्लेन सी का बाइस हजार करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट किया गया है। इनमें अधिकांश प्लेन इंडियन इंडस्ट्री के साथ मिलकर बनाए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने स्वदेशी लड़ाकू विमान विकसित करने के लिए की जा रही पहलों को बढ़ावा देने के लिए एलसीए मार्क टु लड़ाकू विमान के प्रोटोटाइप विकास को मंजूरी दे दी, जो वायु सेना में मिराज दो हजार जगुआर और मिग लड़ाकू विमानों की जगह लेगा। दो सितम्बर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के भारत के प्रयासों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। पहला स्वदेश निर्मित और निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत चालू किया गया। नए नये नौसेना ध्वज का भी अनावरण किया गया। नरेन्द्र मोदी ने यहां अड़तीस सौ करोड़ रुपये की प्रमुख परियोजनाओं का लोकार्पण या उनकी आधारशिला रखी। महत्वपूर्ण कार्य मशीनीकरण और औद्योगीकरण से संबंधित हैं। प्रधानमंत्री ने कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को देशसेवा में समर्पित किया।इस पोत को घरेलू स्तर पर डिजाइन किया गया है। इसे आईएनएस विक्रांत के नाम से एक विमान वाहक पोत के रूप में विकसित किया गया है। इसका डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है। इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। विक्रांत का निर्माण अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है। वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है। स्वदेशी वायुयान वाहक का नाम उसके विख्यात पूर्ववर्ती और भारत के पहले विमान वाहक पोत के नाम पर रखा गया है। यह पोत तमाम स्वदेशी उपकरणों और यंत्रों से लैस है, जिनके निर्माण में देश के प्रमुख औद्योगिक घराने तथा सौ से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संलग्न थे। विक्रांत के लोकार्पण के साथ भारत के पास दो सक्रिय विमान वाहक पोत हो गए हैं, जिनसे देश की समुद्री सुरक्षा को बहुत बल मिलेगा।
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