शिक्षक छात्रों को साक्षर तो बना रहे हैं, शिक्षित नहीं-----------डॉक्टर के के नारायण

शिक्षक छात्रों को साक्षर तो बना रहे हैं, शिक्षित नहीं:-डॉक्टर के के नारायण

स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ में मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान एवं कौटिल्य मंच के तत्वावधान में शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ बिहार के जानेमाने साहित्यकार राधा मोहन मिश्र माधव ने किया। उन्होंने कहा कि त्याग और बलिदान का पाठ पढ़ाने वाले सत्यनिष्ठ शिक्षक ही राष्ट्र को गौरवान्वित कर सकते हैं। उन्होंने महान शिक्षक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद करते हुए बताया कि उनके समक्ष भारी संख्या में उनके शिष्यों ने उनके जन्मदिन का उत्सव मनाने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने अपनी मौलिक वृति--शिक्षण-- को यह तिथि समर्पित कर दी और उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस बन गया।
मगध विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष रहे प्रख्यात शिक्षाविद प्रोफेसर उमेश चंद्र मिश्र शिव ने कहा कि शिक्षक ही निष्ठा और समर्पण के आदर्श के साथ भविष्य की पीढ़ी के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं।
ऑल इंडिया जूलॉजी साइंस कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ बीएन पांडेय ने कहा कि आज देश में खासकर छात्रों में देश भावना जागृत करने की परम आवश्यकता है। जिसकी पूर्ति शिक्षक ही कर सकते हैं।
विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने कहा कि आज पाश्चात्य सभ्यता के बढ़ते प्रभाव के कारण लोगों की भौतिकवादी लिप्सा अनियंत्रित हो गयी है । शिक्षक को इस दिवस पर उद्दालक-धौम्य, चाणक्य-चंद्रगुप्त, समर्थ गुरु रामदास-शिवाजी, रामकृष्ण परमहंस-स्वामी विवेकानंद और डा. राधाकृष्णन आदि से प्रेरणा लेनी चाहिये।
इस अवसर पर देश के जाने माने संस्कृत हिंदी अंग्रेजी एवं पाली भाषा के अधिकारी विद्वान प्रोफेसर के के नारायण ने अपने अध्यक्षीय भाषण में श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक ने अपने आचरण- व्यवहार और विचारों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और स्वाभिमान की भावना उत्पन्न कर राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा के लिए सतत संघर्ष किया है, भारतीय संस्कृति की रक्षा में सफलता प्राप्त की है जिसका अब सर्वथा अभाव हो गया है और आज तो यह पुनर्विचार का विषय बन गया है। चूँकि अधिकांशतः वेतनभोगी कर्मचारी बने शिक्षक छात्रों को साक्षर तो बना रहे हैं, शिक्षित नहीं। इस लक्षण को बदलना होगा।
इस अवसर पर जिन्होंने अपने विचार व्यक्त किए उनमें पंडित बालमुकुंद मिश्रा, पंडित निशिकांत आचार्य, रविभूषण भट्ट, विनयलाल टाटक, अरुण पाठक, रीना पासवान, नीतू शर्मा, किरण पाठक, ममता देवी इंजीनियर अशोक शर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता जोधपुर उच्च न्यायालय विक्रम शर्मा ऋषिकेश गुर्दा अरविंद मिश्रा डॉक्टर ज्ञानेश मिश्रा अधिवक्ता प्रोफेसर अशोक कुमार शंभू गिरी डॉक्टर मंटू मिश्रा पवन मिश्रा रणजीत पाठक देवेंद्र नाथ मिश्र रंजना पांडे रजनी चावला सिद्धनाथ मिश्र समाजसेवी रवि भूषण भारत अश्विनी तिवारी नीरज वर्मा रुक्मिणी पाठक सुचिता पाठक प्रोफेसर रीना सिंह कविता रावत नीलम देवी वैष्णवी मांडवी निभा देवी सुनीता डोमन प्रसाद यदि उल्लेखनीय थे। धन्यवाद-ज्ञापन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं प्राचार्य डॉ राम सिंहासन सिंह ने कहा कि शिक्षकों को अपनी गौरव- गरिमा की याद कर मानवीय चरित्र में आ रही निरंतर गिरावट की ओर विशेष ध्यान देना चाहिये। इसके लिए बुद्धिजीवियों को भी आगे आने की सलाह दी।
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