शिक्षकों का जीवन में योगदान
दिया मुझे शिक्षकों ने,
हर समय बहुत ज्ञान।
तभी तो पढ़ लिखकर,
कुछ बन पाया हूँ।
इसलिए मेरी दिल में,
श्रध्दा के भाव रहते है।
और शिक्षकों को मातपिता से
बढ़ाकर उन्हें सम्मना देता हूँ।
जो कुछ भी हूँ मैं आज,
उन्ही के कारण बन सका।
इसलिए उनके चरणों में,
शीश अपना झुकता हूँ।।
शिक्षा का जीवन में लोगों,
बहुत ही महत्त्व होता है।
जो इससे वंचित रहता है
जीवन उनका अधूरा होता है।
शिक्षा को कोई न बाट
और न छिन सकता है।
जीवन का ये सबसे
अनमोल रत्न जो होता है।
धन दौलत तो आती
और जाती रहती है।
पर ज्ञान हमारा संग देता
जिंदगीकी अंतिम सांसों तक।।
जितना तुम पूजते
अपने मात पिता को।
उतना ही गुरुओं को भी
अपने दिल से पूजो तुम।
देकर दोनों को तुम आदर,
एक तराजू में तौलो तुम।
दोनों ही आधार स्तंम्भ है,
तुम्हारे इस जीवन के।
जो हर पल हर समय,
काम तुम्हारे आते है।
तभी तो मातपिता और,
शिक्षक दिवस हम मानते है।।
अपने सभी पाठकों के लिए शिक्षक दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। मेरी कविता मेरे शिक्षको के चरणों मे समर्पित है।
जय जिनेन्द्र
संजय जैन "बीना" मुंबईहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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