आजादी

आजादी

न हम हिन्दू न हम मुस्लिम
और न सिख ईसाई हैं।
हिंदुस्तान में जन्म लिया है तो 
पहले हम हिंदुस्तानी हैं।
आजादी की जंग में 
इन सब ने जान गमाई थी।
तब जाकर हमको ये
आजादी मिल पाई थी।
कैसे भूल उन सब को
वो भी हमारे बेटे थे।।

पर भारत माँ अब बेबस है
और अंदर ही अंदर रोती है।
अपने ही बेटों की करनी पर 
खून के आंसू पीती है।
धर्म निरपेक्षय देश हम 
सबने मिलकर बनाया था।
पुनः खण्ड खण्ड कर डाला 
अपने देश बेटों ने।।
क्या हाल बना दिया
अपनी भारत माँ का अब।।

कितनी लज्जा कितनी शर्म 
आ रही है अपने बेटों पर।
भारत माँ रोती रहती 
एक कोने में बैठकर।
क्या ये सब करने के लिए
 ही हमने आजादी पाई है।
और धूमिल कर डाले
आजादी के उन सपनों को।
और मजबूर कर दिया
अपनो की लाशों पर रोने को।।

चल कहाँ से थे हम
कहाँ तक आ पहुंचे।
और कहां तक गिरना है
तुम बतला दो बेटों अब।
भारत माँ के बेटों को 
क्या बेटों के हाथों मरना है। 
नहीं चाहिए ऐसी आजादी
जो भाइयों को लड़वाती है।
नहीं चाहिए ऐसी आजादी
जो अपास में लड़वाती है।
और मरे कोई भी दंगो में
पर माँ को ही रोना पड़ता है।
और औलादों की करनी पर 
शर्मिदा होना पड़ता है।
शर्मिदा होना पड़ता है।।

जय हिंद, जय भारत
संजय जैन "बीना" मुम्बई
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