गीतों को सौगात समझना

गीतों को सौगात समझना

काव्य भावों को समझ सको तो हर बात समझना 
मैंने लिखे हैं गीत नए गीतों को सौगात समझना 

दिल का दर्द बयां करते उर बहती भावधारा
मधुर तराने प्यारे-प्यारे हर्षित हो सदन सारा 

शब्द शब्द मोती से झरते बनकर चेहरे की मुस्कान 
खिल जाए मन की बगिया सात सुरों की छेड़े तान 

प्रीत उमंग साहस समाये खुशी पीर लड़ियों में 
देशभक्ति भाव जगे ओज गीतों की झड़ियों में 

कुदरत का श्रृंगार गा नई धुन लय तान सजाता 
प्रेम सुधा बरसाकर मधुर मधुर मन बस जाता 

सुरभित वाणी के भावों को दिन-रात समझना 
महकती पुरवाई गा गीतों को सौगात समझना 

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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