बढ़ रहा लिली के फूलों का आकर्षण

बढ़ रहा लिली के फूलों का आकर्षण

इसी तरह फूलों की खेती से भी लाखों की कमायी की जा सकती है। भारत में अभी लिली की खेती काफी कम संख्या में हो रही है। इस वजह से कंपनियां किसानों से पहले ही सौदा कर लेती हैं। इसका फायदा किसानों को यह होता है कि उन्हें बाजार में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। भारत सहित पूरी दुनिया में सजावटी फूलों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। देश में फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने सजावटी फूल एक नया विकल्प बनकर उभरा है। ये न सिर्फ देखने में आकर्षक हैं बल्कि किसानों को इनसे जमकर कमाई भी हो रही है। इसी तरह का एक फूल है लिली। यह एक विदेशी सजावटी फूल है और यह कई रंगों का होता है। भारत के किसान इसकी खेती कर आमदनी के नए द्वार खोल रहे हैं। भले ही लिली विदेशी फूल है, लेकिन भारत में तेजी से प्रचलित हो रहा है। पॉली हाउस में किसान पूरे साल इसका उत्पादन कर रहे हैं। हमारे देश में इसकी व्यावसायिक खेती बहुत कम मात्रा में हो रही है। फिलहाल आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के किसान ही लिली फूल उगा रहे हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी इसकी खेती हो रही है।

लिली की खेती तीन चरणों में होती है। पहले चरण में टिश्यू कल्चर प्रोसेस से नर्सरी तैयार करते हैं। ये काम बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाओं या कंपनियों में होता है। दूसरे चरण में नर्सरी यानी पौध को रोपा जाता है। पौध से फूल नहीं बल्कि कंद मिलते हैं। तीसरे चरण में उन कंदों को गमलों में रोपा जाता है। इसी से किसान फूल प्राप्त करते हैं।

पहाड़ी राज्यों में वातावरण लिली के अनुकूल होता है। ऐसे इलाकों में रहने वाले किसान खुले में भी लिली की खेती कर सकते हैं। मैदानी इलाकों में लिली की खेती के लिए पॉली हाउस की जरूरत पड़ती है। पॉली हाउस में रोपाई के लिए ढाई किलो कोकोपीट, ढाई किलो केंचुए की खाद, ढाई किलो भूसा और पांच किलो कोयले की राख की जरूरत होती है। इसके बाद पौध को इस मिश्रण में रोपा जाता है और किसान कंद प्राप्त करते हैं। कंद को विकसित होने में तीन माह का समय लगता है। इस दौरान अच्छी देखभाल की जरूरत होती है और टपक विधि से सिंचाई करने की सलाह दी जाती है। तीन माह बाद कंद तैयार हो जाता है। कंद को जड़ समेत उखाड़ लिया जाता है। किसान चाहें तो कंद की बिक्री कर भी मोटी कमाई कर सकते हैं। अगर कंद नहीं बेचना चाहते हैं तो उसे गमलों में लगाकर सीधे फूल उगाकर बेचें। गमलों में पहले से तैयार मिश्रण को भर कर तीन-तीन कंद लगाया जाता है फिर कंद को मिश्रण से ढक दिया जाता है।रोपाई के बाद बाद पानी का छिड़काव करना जरूरी है। 7 दिन बाद पॉली हाउस का तापमान 20 से 25 डिग्री पर फिक्स करने की सलाह दी जाती है। कंद रोपाई के 30 दिन बाद हरी कली दिखाई देने लगती है और इसके तुरंत बाद फूल खिल जाते हैं।
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