करोड़ों के खजूर और लाखों के फूल

करोड़ों के खजूर और लाखों के फूल

(अचिता-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
किसान परिवार से जुड़ी होने के बावजूद खेती-किसानी से लगभग अपरिचित हूं। हां, कभी-कभी गांव जाती तो लोग कहते हैं कि खेती अब कुछ दे नहीं रही है। दरअसल, ज्यादातर किसान परम्परागत खेती ही करते हैं। साल भर में दो फसलें और ज्यादा हुआ तो तीन फसलें ले लेते हैं लेकिन आधुनिक ढंग से जैविक खेती की जाए तो अच्छी कमायी की जा सकती है। राजस्थान की तपती धरती मंे एक किसान जैविक बागवानी करके खजूरों से करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। इसी प्रकार लिली जैसे फूल, जो अभी हमारे देश मंे कम उगाए जाते हैं, उनसे लाखों की कमायी की जा सकती है।

सात हैक्टर में एक करोड़ के खजूर

पश्चिमी राजस्थान में सांचैर क्षेत्र के दाता गांव के किसान गेहूं, बाजरा, मूंग, मोठ, अरंडी और रायडा की परंपरागत खेती के साथ अब मेडजूल और बरही किस्म की खजूर की खेती करके सालाना महज 7 हैक्टर जमीन पर एक करोड़ से अधिक रुपये की कमाई कर रहे हैं। दाता गांव के रहने वाले किसान केहराराम चैधरी ने 10 साल पहले अनार की खेती की और पहले ही प्रयास में अच्छी पैदावार ली थी। इसे देखते हुए कई किसानों ने अनार की खेती शुरू की। आज दाता गांव के साथ साथ जिले के सैकड़ों किसान बड़ी मात्रा में अनार निर्यात कर रहे हैं। जालोर के दाता गांव के किसानों ने 5 साल पहले 3500 रुपये की कीमत पर उद्यान विभाग से खजूर के 2 अलग-अलग किस्म के 600 पौधे लगाए और 4 हेक्टेयर खेत में लेगे यह पौधे महज 2 से 3 साल की देखरेख में अब सालाना 1 करोड़ की एक किसान को कमाई शुरू हो गई है। किसान के खेत में अब मेडजूल खजूर की पैदावार आना शुरू हो गई है। बारिश के मौसम में नमी के कारण खजूर की पहली पैदावार पर असर न पड़े, इसलिए किसानों ने अहमदाबाद से मंगाए ड्रायर हीटिंग बाॅक्स से नमी कम कर पैंकिग के बाद स्टोरेज किया जा रहा है।
खजूर की इस किस्म को ऑर्गेनिक तरीके से पैदा किया जाता है। यानी इसमें किसी भी रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता। गोबर खाद एवं केंचुआ खाद उपयोग ली जाती है। खजूर की यह किस्म राज्य के 12 जिलों जालोर, बाड़मेर, चूरू, जैसलमेर, सिरोही, श्रीगंगानगर, जोधपुर, हनुमानगढ़, नागौर, पाली,, बीकानेर व झुंझुनूं में पैदा हो रही है। खजूर के मूल उत्पादक खाड़ी देशों जैसी जलवायु को देखते हुए ही राज्य सरकार यहां खजूर की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को आयातित और टिश्यू कल्चर से तैयार पौध उपलब्ध कराने के साथ तकनीकी सहयोग भी दिया जा रहा है। पौध को जुलाई से सितंबर के बीच किसी भी किस्म की मिट्टी में लगा सकते है। एक से दूसरे पौधे और एक से दूसरी कतार के बीच 8 मीटर की दूरी होनी चाहिए। एक हैक्टेयर में 156 पौधे लगा सकते हैं। अब सरकार ने आधा हैक्टेयर तक के लिए पौधे देने का प्रावधान शामिल किया है। राजस्थान में अभी 6 किस्मों की बुआई की जा रही है। इसमें से 4 मादा और दो नर किस्में है। मादा किस्म-मेडजूल 3433 रुपये प्रति पौध, बरही 2233 रुपये प्रति पौध, खलास 2233 रुपये प्रति पौध और खुनैजी 2183 रुपये प्रति पौध। नर किस्म-अलइन सिटी 2433 रुपये प्रति पौध और घनामी 2933 रुपए प्रति पौध है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ