भारत के विरोध में गहरी साजिश

भारत के विरोध में गहरी साजिश

(मनीषा स्वामी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बिहार की राजधानी पटना में पकड़े गये जलालुद्दीन और अतहर परवेज ने भारत के विरोध में जो जानकारी दी है, उसने सभी के कान खड़े कर दिये हैं। हमारे देश के सबसे ज्यादा रोने वाले ये अल्पसंख्यक 2047 ई. तक यहां इस्लाम का शासन स्थापित करने का दुस्साहस पाले हुए थे। हम इसे हल्के में नहीं लेंगे और यह भी तय है कि जलालुद्दीन और अतहर परवेज न तो अकेले हैं और न अभी-अभी पैदा हुए हैं। कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर बरसाने वाले, नई दिल्ली के एक मोहल्ले जहांगीरपुरी में तलवारें लेकर दहशत पैदा करते हुए हिन्दुओं को भाग जाने की धमकी देने वाले और कानपुर में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मौजूदगी के बीच दंगा करने वाले इसी साजिश का एक हिस्सा हैं। इस साजिश को गैर भाजपाई राज्य और भाजपाई राज्य के चश्मे से न देखा जाए बल्कि देश का कोना-कोना छानकर इन आतंकियों को दबोच कर फास्ट ट्रैक न्यायालय से सजा भी दिलाई जाए।

देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में पुलिस ने 13 जुलाई को फुलवारी शरीफ से तीन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। अगले दिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीम ने पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में छापा मारा। पेट्रोल लाइन इलाके से एक और संदिग्ध को हिरासत में लिया गया। खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इनके इरादे काफी खतरनाक थे। संदिग्ध आतंकियों की फुलवारी शरीफ में दंगा फैलाने की प्लानिंग थी, लेकिन चैकस खुफिया एजेंसियों को पहले ही इनके मंसूबों के बारे में पता चल गया। संदिग्धों की साजिश को समय रहते ही डिकोड कर लिया गया। इनकी पहचान मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज के तौर पर की गई है। तीसरे आतंकवादी का नाम अरमान मलिक है। इनके संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से बताए गए हैं। इन पर आतंकी प्रशिक्षण देने का आरोप है। जानकारी के अनुसार, आईबी ने अपने इनपुट में 12 सदस्यीय साउथ इंडियन टीम के फुलवारी शरीफ पहुंचने की खुफिया सूचना दी थी। इसके बाद एनआईए सतर्क हो गई थी। मोहम्मद जलालुद्दीन झारखंड पुलिस का रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर है। इसी के मकान अहमद पैलेस से आतंकी गतिविधियां चलती थी। मामले में जिस दूसरे संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार किया गया है उसका नाम अतहर परवेज है और यह फुलवारीशरीफ के गुलिस्तान मुहल्ले का रहने वाला है। मिली जानकारी के अनुसार वो प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का पूर्व सदस्य रह चुका है। बताया जा रहा है कि वह वर्तमान में पीएफआई और एसपीडीआई का सक्रिय सदस्य है। यह भी जानकारी सामने आई है कि अतहर परवेज ने ही गांधी मैदान के ब्लास्ट के आरोपियों को बेल दिलाया था।

फुलवारी शरीफ के एएसपी मनीष कुमार सिन्हा के अनुसार, छापेमारी में ‘इंडिया-2047’ डॉक्यूमेंट बरामद किया गया है। इन आतंकियों का प्लान-2047 भी डिकोड किया गया है। ये लोग 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की योजना पर काम कर रहे थे। इसी आधार पर पटना के फुलवारी शरीफ से साजिश रची जा रही थी। इसके लिए चयन कर विशेष समुदाय के लोगों को आतंक की ट्रेनिंग भी दी जा रही थी।ट्रेनिंग में कई राज्यों के मुस्लिम युवा शामिल होते थे। इसके लिए पाकिस्तान-बांग्लादेश से फंडिंग किए जाने की भी जानकारी सामने आई है। मामले में आरोपी अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन के साथ एक और शख्स को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि अतहर परवेज मुस्लिम युवाओं को ट्रेनिंग देता था।

अतहर परवेज प्रतिबंधित संगठन सिमी का पूर्व सदस्य और गांधी मैदान ब्लास्ट के आरोपी का भाई है। अतहर परवेज मुस्लिम युवाओं को ट्रेनिंग देता था और देश विरोधी बैठकें करता था। बैठकों में पीएफआई और एसडीपीआई के सदस्य शामिल होते थे। वहां वह युवाओं में सांप्रदायिकता और देश विरोध का जहर भरता था। मार्शल आर्ट के नाम पर अस्त्र-शस्त्रों का प्रशिक्षण दिया जाता था।नया टोला में अहमद पैलेस नाम से बिल्डिंग है जहां मो. जलालुद्दीन के मकान से पंपलेट, बुकलेट, गुप्त दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

फुलवारी शरीफ थाना इलाके से गिरफ्तार जलालुद्दीन और अतहर परवेज के तार कहां-कहां से जुड़े हैं इसकी पूरी पड़ताल बिहार पुलिस कर रही है। एडीजी पुलिस मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार का कहना है कि इस मामले की गहराई से वरीय स्तर पर जांच की जा रही है। बिहार आईबी और पटना पुलिस के साथ एटीएस की टीम भी अपने अपने स्तर से अनुसंधान करने में जुटी है।

देश में साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की एक तरफ सुनियोजित साजिश हो रही है तो दूसरी तरफ दलगत राजनीति के चलते आतंकवादियों और दहशतगदी को ही प्रश्रय मिल रहा है। भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का मामला ही लें तो अजमेर के गौर चिश्ती जिस तरह से ‘सिर तन से जुदा’ का नारा लगाते हैं तो उनकी निंदा करने की हिम्मत भी विपक्षी दल नहीं उठा पाते हैं। इस बात को क्या नजरंदाज किया जा सकता है कि मुट्ठी भर फिरकापरस्त मुसलमान 135 करोड़ की आबादी वाले भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का मंसूबा पाले हैं। हमें तो उन लोगों की बुद्धि पर भी तरस आया जिन्हांेने नूपुर शर्मा का समर्थन करने के बाद जब उनको धमकी मिली कि तुम्हारी दुकान पर आऊं क्या? तो वे यह नहीं कह सके कि असल बाप की औलाद है तो आ जा। इसके बजाय उन्होंने वीडियो बनाकर माफी मांगी। सवाल उठता है कि क्या किया जाए? तो इसका जवाब है कि हम शठं शाठ्य समाचरेत के ध्येय वाक्य को बुदबुदाएं ही नहीं बल्कि उस पर आचरण करें। कानून में बदलाव की जरूरत हो तो तुरन्त उसे बदला जाए और देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का दुस्साहस रखने वाले सिर तन से जुदा का नारा लगाने वाले और यहां तक दुराचार जैसा जघन्य अपराध करने वालों को चार दिन के अंदर सजा देकर यह बता दिया जाए कि यह देश अब किसी तरह की साजिश को बर्दाश्त नहीं करेगा। दो-चार लोगों को भी सजा मिली तो दिल्ली और कानपुर में जिस तरह की फिरकानास्ती दिखाई पड़ी, वैसी दुबारा नहीं दिखेगी। हमें अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया में बदलाव करना ही पड़ेगा वरना बरेली में बिरयानी की दुकान पर हमला और उदयपुर में कन्हैयालाल की गर्दन कटती ही रहेगी।
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