नैनी झील में मुसीबत बनी कार्प फिश

नैनी झील में मुसीबत बनी कार्प फिश

नैनीताल। उत्तराखंड का नैनीताल जिला झीलों के लिए अलग पहचान रखता है। नैनीताल शहर की मशहूर झील को देखने के लिए कई राज्यों से लोग आते हैं।नैनी झील पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है। यहां मौजूद मछलियां भी आकर्षण का केंद्र हैं। झील के किनारे बैठ पर्यटक इन मछलियों को निहारते हैं। देखा जाए तो जलीय परितंत्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए इस झील में पौधे, शैवाल और बाकी अन्य मछलियों का संतुलित तादाद में होना बेहद जरूरी है। हालांकि यह देखा जा रहा है कि बीते कुछ महीनों से झील में पाई जाने वाली कॉमन कार्प फिश की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। यह मछली दूसरी प्रजाति की मछलियों को निवाला बना रही है।

नैनी झील में करीब 3 से 4 प्रजाति की मछलियां मौजूद हैं, जिनमें गोल्डन महाशीर, कॉमन कार्प और अन्य महाशीर शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या कॉमन कार्प फिश की हो गई है। इनकी संख्या लगभग 67 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जिस वजह से अन्य प्रजाति की मछलियों में भी कमी देखने को मिली है। कुमाऊं विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर सतपाल सिंह बताते हैं कि कॉमन कार्प फिश नैनी झील में काफी समय से मौजूद है। फूड हैबिट की बात की जाए तो इस प्रजाति की मछलियां ओमीनीवोर (सर्वभक्षी) होती हैं। झील में मौजूद छोटे पौधों के साथ-साथ यह अन्य छोटी मछलियां, कीड़े-मकौड़े और मछलियों के अंडे भी खा जाती हैं। अगर इनकी संख्या में और ज्यादा बढ़ोतरी होती है तो बाकी अन्य प्रजाति की मछलियां झील में कम हो जाएंगी और केवल कॉमन कार्प मछली ही यहां बचेगी। हालांकि एक पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए झील में अन्य मछलियों का होना भी बेहद जरूरी है। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग की रिपोर्ट के बाद नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल की तरफ से नैनी झील में मछली पकड़ने का ठेका देने के निर्देश दिए गए हैं। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता डीडी सती का कहना है कि मछली पकड़ने को लेकर सिंचाई खंड, नगरपालिका, झील विकास प्राधिकरण और नगरपालिका मिलकर संयुक्त कमेटी बनाएंगे, जिसके बाद ही कॉमन कार्प फिश को पकड़ने के लिए टेंडर पास होगा और फिर आगे की कार्यवाही की जाएगी।
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