क्यूएस मानक में फिसला जेएनयू

क्यूएस मानक में फिसला जेएनयू

(मोहिता-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
भारत के शिक्षा केन्द्र कभी विश्व भर में अपनी उच्चतम गुणवत्ता के लिए विख्यात थे। नालंदा और तक्षशिला जैसे महाविद्यालय सुदूर देशों के मेधावियों को अपने प्रांगण में खींच लाते थे। भारत की आजादी के बाद भी यहां के कुछ विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाए हुए हैं। इनमें दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) भी शामिल है। दिल्ली में ही जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय भी दुनिया भर में विख्यात है। चिंता की बात है कि ये दोनों विश्वविद्यालय प्रतिष्ठित क्यूक कयोरली सेमेण्ड्स (क्यूएस) वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में नीचे के पायदान पर पहुंच गये हैं। ब्रिटेन की एक शैक्षिक मानक तय करने वाली कम्पनी, जिसको वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक के नाम से भी जाना जाता है। इसी क्यूक क्योरली सेमेण्ड्स (क्यूएस) ने गत 9 जून को विश्वविद्यालयें के प्रदर्शन के बारे में तुलनात्मक आंकड़ा प्रकाशित किया हे। क्यूएस के आकलन में जेएनयू और जामिया मिलिया का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है।

भारत के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे प्रमुख विश्वविद्यालय प्रतिष्ठित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में फिसल गए हैं, जबकि यहां का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी दिल्ली 11 स्थान की बढ़त के साथ 174वें स्थान पर पहुंच गया है।

वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक क्यूएस ने 9 जून को विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन के बारे में दुनिया के सबसे लोकप्रिय तुलनात्मक आंकड़ों का 19वां संस्करण जारी किया। दिल्ली विश्वविद्यालय, जो दुनिया के सबसे अधिक परामर्श प्राप्त अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय रैंकिंग के 19वें संस्करण में शामिल होने वाला 10वां सर्वश्रेष्ठ भारतीय विश्वविद्यालय है, पहले के 501-510 वर्ग से 521-530 श्रेणी में फिसल गया है। वहीं, जेएनयू की रैंकिंग जो पहले 561-570 के बीच थी जो अब घटकर 601-650 ब्रैकेट में आ गई। इसी तरह जामिया मिलिया इस्लामिया जो पिछले साल 751-800 के बीच था, अब 801-1000 के बीच है। ऐसे में रैंकिंग से पता चला है कि जामिया हमदर्द पिछले संस्करण में 1001-1200 के ब्रैकेट में था जो इस बार गिरकर 1201-1400 ब्रैकेट में आ गया है। दिल्ली के बाहर के विश्वविद्यालयों में हैदराबाद विश्वविद्यालय (651-700 से गिरकर 751-800 तक), जादवपुर विश्वविद्यालय (651-700 से से गिरकर 701-750 तक) और आईआईटी-भुवनेश्वर (701-750 से गिरकर 801-100) की कैटेगरी में आ गया है। इसी तरह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु, प्रतिष्ठित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में सबसे तेजी से उभरता हुआ दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय है, जिसने 31 स्थान प्राप्त किए हैं जबकि चार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भी इस श्रेणी में शामिल हुए हैं। पिछले संस्करण की तुलना में इन्हें उच्च रैंक मिले हैं।

रैंकिंग के अनुसार, 13 भारतीय विश्वविद्यालयों ने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अपने शोध प्रभाव में सुधार किया है। इसके विपरीत, भारतीय विश्वविद्यालय क्यूएस की संस्थागत शिक्षण क्षमता के माप के साथ संघर्ष करना जारी रखते हैं। भारत के 41 रैंक वाले विश्वविद्यालयों में से तीस को क्यूएस के संकाय और छात्र अनुपात (एफएसआर) संकेतक में गिरावट का सामना करना पड़ा है। केवल चार विश्वविद्यालय ही ऐसे हैं जिन्होंने अपने रिकॉर्ड में सुधार दर्ज किया है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे प्रमुख विश्वविद्यालय प्रतिष्ठित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में फिसल गए हैं, जबकि यहां का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी दिल्ली 11 स्थान की बढ़त के साथ 174वें स्थान पर पहुंच गया है।

जेएनयू और जामिया मिलिया ने पिछले कुछ वर्षों में ही मेघावी से ज्यादा विवाद पैदा किया है। जेएनयू में पाकिस्तान जिंदाबाद तो जामिया में जिन्ना के समर्थन में नारेबाजी ने इन दोनों संस्थाओं को विवादो में घेरा है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में यहां कावेरी हॉस्टल के छात्रों के बीच हिंसक झड़प हुई। ये विवाद रामनवमी पर नॉनवेज खाने को लेकर शुरू हुआ था। देखते ही देखते पथराव शुरू हो गया। इसमें एबीवीपी और लेफ्ट संगठनों के 10 से ज्यादा छात्र घायल हो गए। ये पहली बार नहीं है जब देश का प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान जेएनयू विवादों में था। इसके पहले भी जेएनयू का विवादों से लंबा नाता रहा है। जेएनयू के लेफ्ट संगठनों पर कभी पाकिस्तान के समर्थन में मुशायरा तो कभी भारतीय जवानों की शहादत पर जश्न मनाने का आरोप लगा। कई बार हिंसात्मक घटनाएं हो चुकी हैं। ये बात 1980 की है, तब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री हुआ करती थीं। जेएनयू में वामपंथी संगठन और राइट विंग के छात्रों के बीच किसी बात को लेकर विवाद शुरू हो गया। ये विवाद इतना बढ़ गया कि 16 नवंबर 1980 से लेकर तीन जनवरी 1981 तक इसे बंद करना पड़ा था। इंदिरा गांधी ने खुद इसे बंद रखने के आदेश दिए थे। हालात पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) प्रेसीडेंट राजन जी को हिरासत में लेना पड़ा था। राजीव गांधी के जीवनी लेखक मिन्हाज मर्चेट कहते हैं, जेएनयू का वामपंथ द्वारा उकसाई हिंसा का लंबा इतिहास है। जेएनयू में एक मुशायरे का आयोजन हुआ। इसमें कई गजलें पढ़ी गईं। आरोप है कि इस दौरान कई गजलें पाकिस्तान के समर्थन में भी पढ़ी गईं, तब वहां मौजूद सेना के दो जवानों ने इसका विरोध किया। इसपर मुशायरे का आयोजन करने वाले छात्र संगठन के नेताओं ने दोनों जवानों को बुरी तरह से पीट दिया। ये मामला भाजपा सांसद बीसी खंडूरी ने संसद में भी उठाया था। जेएनयू से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद नौ फरवरी 2016 का है जब कैंपस में 2001 में भारतीय संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की तीसरी बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा। इस पर खूब बवाल हुआ। इस नारेबाजी के कुछ वीडियो सामने आए थे, जिसमें कुछ चेहरा ढके हुए छात्र देश विरोधी नारे लगा रहे थे। इसको लेकर छात्र गुट आपस में भिड़ गए थे। टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर देश विरोधी नारे लगाने के वीडियो टेलीकास्ट हुए जिसमें देश विरोधी नारे लगाने का मुख्य आरोप तत्कालीन जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और तत्कालीन छात्रसंघ के सदस्य उमर खालिद पर लगा। हालांकि वामपंथी छात्रों ने इस तरह के नारे लगाने के आरोपों से इनकार किया। इसी प्रकार जामिया मिलिया में भी पढ़ाई से ज्यादा राजनीति होने लगी है। इसलिए इनका रैंक गिरा है।
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