एक लड़की,रिमझिम सावन सी
मस्त मलंग हाव भाव,देह प्रभा अति सुंदर सुडौल ।
अल्हड़ता व्यवहार अंतर,
हिय प्रिय मधुरिम मधु बोल ।
अधुना शैली परिधान छटा,
चारु चंद्रिका रज बिछावन सी ।
एक लड़की,रिमझिम सावन सी ।।
आंगिक चेष्टा मोहिनी,
नव यौवन सदा उत्तम उभार ।
आचार विचार शुद्ध सात्विक,
अंतःकरण शोभित संस्कार ।
ज्ञान ध्यान सदा निज शक्ति भक्ति,
हौसली उड़ान सुभावन सी ।
एक लड़की,रिमझिम सावन सी ।।
अभिलाष अग्र कदम हर क्षेत्र ,
मिटा पुरात्तन सोच आरेख ।
ललक झलक प्रगति पथ पर,
प्रेरणा आत्मसात मति मेख ।
तज अंध विश्वास कुरीतियां,
उर भावना पुनीत पावन सी ।
एक लड़की,रिमझिम सावन सी ।।
नित सहन समाज व्यंग्य बाण ,
लैंगिक कटाक्ष अनंत वहन ।
पग पग पहरा शील चरित्र पट ,
स्वतंत्रता बिंदु मनन गहन ।
अहम भूमिका परिवार राष्ट्र,
सुरभि अनंत खुशियां आवन सी ।
एक लड़की,रिमझिम सावन सी ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com