चैहान को कोर्ट से राहत

चैहान को कोर्ट से राहत

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव होने हैं। इन चुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान पिछड़े वर्ग को पर्याप्त भागीदारी देना चाहते थे। अदालत ने उनके पक्ष में फैसला कर दिया है। राज्य के 321 नगरीय निकाय हैं। इनमें 16 नगर निगम हैं। इसके अलावा 79 नगर पालिका परिषद और 226 नगर परिषद हैं। इसी प्रकार ग्रामीण स्तर पर 23263 ग्राम एवं पंचायत निकाय हैं जहां चुनाव लम्बित हैं। इनमें 22709 ग्राम पंचायतों, 313 ब्लाक पंचायत और 5 जिला पंचायत शामिल हैं। राजनीतिक पंडितों के अनुसार ग्रामीण और नगरीय चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों की परीक्षा होनी है। केन्द्र सरकार ने ओबीसी अर्थात् अदर बैकवर्ड कास्ट में जिन जातियों को शामिल किया है, उन्हंे मध्य प्रदेश में भी ओबीसी के तहत आरक्षण मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बिसेन आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए शिवराज सिंह चैहान की सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। उधर, कांग्रेस बौखलाहट में है और कमलनाथ कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे।

उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव को लेकर 18 मई को शिवराज सरकार को राहत प्रदान करते हुए अब मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने के निर्देश जारी किये। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से भारतीय जनता पार्टी और प्रदेश की शिवराज सरकार को बड़ी जीत मिली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के ओबीसी आरक्षण के प्रयास आखिरकार सफल हो गए हैं। न्यायालय ने आदेश दिया है कि मध्यप्रदेश में चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 50 परसेंट तक ओबीसी आरक्षण देने के आदेश दिए हैं। यह भी कहा है कि एक सप्ताह में आरक्षण नोटिफाई किया जाए। अगले एक सप्ताह में चुनाव कराने का नोटिफिकेशन जारी किया जाए। अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि आरक्षण किसी भी स्थिति में 50 फीसदी (अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व जनजाति को मिलाकर) से अधिक नहीं होगा। इसके पहले हुई सुनवाई में न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत में दायर मॉडिफिकेशन एप्लीकेशन में मध्य प्रदेश सरकार से सारे तथ्यों को सुनने के बाद कुछ और जानकारी मांगी गई थी, जिसे बाद में पेश किया गया। पिछड़ा वर्ग को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट कराया गया।

मध्य प्रदेश में अब किसी भी समय पंचायत और निकाय चुनाव का बिगुल बज सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार और राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है। मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनावको लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बीजेपी जहां अपनी जीत बता रही है तो वहीं कांग्रेस ने इसे हार बताया है सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा का कहना है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है लेकिन यह बीजेपी की करारी हार है। क्योंकि बीजेपी ने केस हारने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना था लेकिन अब बीजेपी की कार्यशैली की वजह से 14 प्रतिशत आरक्षण ही मिल पाएगा। विवेक तन्खा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद अब फिर से वही पुरानी स्थिति बहाल हो गई है, जहां एसटी और एससी आबादी को 36 फीसदी आरक्षण और ओबीसी आबादी को 14 फीसदी आरक्षण ही मिल पाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का पंचायत चुनाव को लेकर दिया गया ऐतिहासिक निर्णय बिसेन आयोग की 12 मई की रिपोर्ट के आधार पर ही है। यह ऐतिहासिक फैसला बिसेन आयोग की उस दूसरी रिपोर्ट के कारण ही आ पाया है। बिसेन आयोग ने जो रिपोर्ट और सिफारिशें आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दी थीं उसके मुताबिक यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर 50 फीसद या उससे अधिक तो ओबीसी का आरक्षण उस निकाय में शून्य होगा। यदि किसी निकाय में एससी-एसटी का आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से कम तो उस निकाय में अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा तक ओबीसी का आरक्षण होगा। यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से कम तो वहां ओबीसी का आरक्षण उस निकाय की ओबीसी आबादी से अधिक नहीं होगा। किसी भी निकाय में ओबीसी का आरक्षण 35 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। निकाय के जिन पदों में आरक्षण राज्य स्तर पर होते हैं जैसे जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष ऐसे निकायों की कुल जनसंख्या के आधार पर उपरोक्त सिद्धांतों का पालन करते हुए आरक्षित पदों की संख्या निकाली जाएगी।

केंद्र द्वारा ओबीसी की सूची में जो जातियां मध्य प्रदेश की ओबीसी सूची में सम्मिलित नहीं है उन जातियों को राज्य की सूची में जोड़ा जाए।

स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिसेन आयोग की उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जो 12 मई को सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी। अगर इस रिपोर्ट के मुताबिक देखा जाए तो इन सिफारिशों के आधार पर ही अब आगामी 1 सप्ताह के भीतर प्रदेश सरकार को आरक्षण की प्रक्रिया करनी है। संभवत इन्हीं आधार पर सरकार अब आरक्षण करेगी और जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी उसके बाद निर्वाचन आयोग 1 सप्ताह के भीतर चुनाव कार्यक्रम घोषित कर देगा।

उधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी सुप्रीम कोर्ट के पंचायत चुनाव में आरक्षण के फैसले के खिलाफ कोर्ट से ही न्याय की गुहार लगाएगी। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कोर्ट के आज के आदेश के बाद भी राज्य की 50 फीसदी पिछड़ा वर्ग की आबादी को 14 प्रतिशत आरक्षण ही मिल पाएगा। ये ओबीसी के साथ न्याय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने आज पंचायत चुनाव आरक्षण के साथ कराने का आदेश दिया है। आरक्षण भी 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा आरक्षण का मतलब न्याय होता है। राज्य में 50 फीसदी पिछड़ा वर्ग की आबादी है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश उनके साथ न्याय नहीं करता है। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा पंचायत चुनाव के लिए भाजपा को तैयारी करनी थी। पॉइंट्स पेश करने और जो ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट थी वो सब सही नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश में इस रिपोर्ट सही नहीं माना था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 50 फीसदी तक आरक्षण के लिए कह रहा है, मगर यह 14 फीसदी है जो राज्य की आबादी के लिए न्याय नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पार्टी कोर्ट जाएगी। जब तक राज्य की ओबीसी आबादी को न्याय नहीं मिलेगा कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। बहरहाल, कांग्रेस जब नेतृत्व को लेकर ही जूझ रही है तो भाजपा से क्या लड़ेगी? (
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