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लोकनायक जयप्रकाश नारायण पर मोतीहारी में आयोजित हुआ व्याख्यानमाला

लोकनायक जयप्रकाश नारायण पर मोतीहारी में आयोजित हुआ व्याख्यानमाला 

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना
देश में आजादी की लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक के तमाम आंदोलनों की मशाल थामने वाले जेपी उर्फ जयप्रकाश नारायण ने अपने विचारों, दर्शन तथा व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की थी। उक्त बातें जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस) ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर कायस्थ रत्न रणबांकुरों और अमर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धापूर्वक याद करने के सिलसिले में "लोकनायक जयप्रकाश नारायण" पर मोतीहारी में आयोजित व्याख्यानमाला में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश जी की समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रही। भारतीय राजनीति को ही नहीं बल्कि आम जन- जीवन को एक नई दिशा दी और नए मानक गढ़े हैं। उन्होंने जय प्रकाश नारायण के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण को 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए उन्होंने "सम्पूर्ण क्रांति" नारा के साथ आंदोलन चलाया। संपूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से पदस्थ होना पडा। जयप्रकाश नारायण की हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी संपूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने- कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे।जयप्रकाश नारायण ने तत्कालीन सरकार के विरुद्ध जनता का आह्वान करने के लिए रामधारी सिंह दिनकर की इस कविता को दोहराया था।

  "सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी,

मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है,

दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।"

उक्त अवसर है प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा कि  भारतरत्न जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है। लोकनायक जयप्रकाश जी की जीवन की विशेषताएं और उनके व्यक्तित्व के आदर्श कुछ विलक्षण और अद्भुत हैं जिनके कारण से वे भारतीय राजनीति के नायकों में अलग स्थान रखते हैं। उनका सबसे बड़ा आदर्श था जिसने भारतीय जनजीवन को गहराई से प्रेरित किया, उनमें सत्ता की भूख नहीं थी, सत्ता का मोह नहीं था, वे खुद को सत्ता से दूर रखकर देशहित में काम करते थे।

बिहार प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा, कि जीवनभर संघर्ष करने वाले और इसी संघर्ष की आग में तपकर कुंदन की तरह दमकते हुए समाज के सामने आदर्श बन जाने वाले प्रेरणास्त्रोत थे लोकनायक जयप्रकाश नारायण। लोकनायक के शब्द को असलियत में चरितार्थ करने वाले जयप्रकाश नारायण अत्यंत समर्पित जननायक और मानवतावादी चिंतक तो थे ही इसके साथ-साथ उनकी छवि अत्यंत शालीन और मर्यादित सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति की भी है। उनका संपूर्ण जीवन भारतीय समाज की समस्याओं के समाधानों के लिए प्रकट हुआ, एक अवतार की तरह, एक मसीहा की तरह। 

उक्त अवसर पर संजय श्रीवास्तव, बलराम जी, मुकेश महान,  डब्लू  जी, राजेश कुमार संजू , शैलेश कुमार, प्रियरंजन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  बब्बू जी, जिला उपाध्यक्ष सौरभ श्रीवास्तव, वार्ड पार्षद गुल्लू जी, किशन श्रीवास्तव, ई अजय आजाद, शिवम श्रीवास्तव एवं मंटु जी सहित कई अन्य गणमान्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।
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